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डेंगू बुखार, कारण , लक्षण एवं उपचार में प्रभावित कुछ पौधों के अर्क(Plant extracts)|Dengue bukhar, karan, lakshan evam upchaar me prabhavit kuch poudhon ke ark

Dengue bukhar, karan, lakshan evam upchaar me prabhavit kuch poudhon ke ark

डेंगू बुखार, कारण , लक्षण एवं उपचार में प्रभावित कुछ पौधों के अर्क(Extracts of some plants affected in Dengue fever, causes, symptoms and treatment)

डेंगू रोग एक मच्छर जनित वायरल रोग है जो की एक संक्रामक रोग है और इस रोग को पैदा करने वाले वायरस को डेंगू वायरस (DNEV) के नाम से जाना जाता है। इस DNEV वायरस के चार सीरोटाईप होते हैं। जिसका मतलब चार बार डेंगू वायरस हमें प्रभावित कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक प्रबंधन पर जोर देना अतिआवश्यक है ताकि इसका प्रसार ज्यादा ना हो। क्योंकि यह काफी संक्रामक हो सकता है जो हमारे लिए प्राणघातक भी हो सकता है। डेंगू को ठीक करने के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, इसे हम उचित चिकित्सा देखभाल से कंट्रोल में ला सकते हैं।

कारण –

इस रोग को पैदा करने वाला वायरस डेंगू वायरस (DNEV)है जिसके चार सीरोटाईप DNEV 1, DNEV 2, DNEV 3 और DNEV 4 होते हैं और अगर कोई व्यक्ति इनमें से किसी भी सीरोटाईप से पीड़ित होता है तो इसका मतलब यह नहीं है की वह दोबारा संक्रमित नहीं हो सकता । वह अन्य बचे हुए प्रकारों से भी दोबारा संक्रमित हो सकता है। जब कोई मच्छर पहले से डेंगू से संक्रमित रोगी को काटता है तो यह डेंगू वायरस उस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है और यही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह स्वस्थ व्यक्ति भी डेंगू से ग्रसित हो जाता है।

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लक्षण –

वैसे तो प्रायः अधिकतर बीमारियों का एक आम लक्षण बुखार ही होता है, और डेंगू में भी आम लक्षण बुखार ही होता है जिसकी वजह से कई बार हम इसका पता नहीं लगा पाते हैं और बच्चों, बड़ो और बुजुर्गों में डेंगू का पता लगा पाना बड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि कई बार हम बुखार को मौसमी बुखार समझ कर नजरंदाज कर जाते हैं, और इसी वजह से डेंगू को हमारे शरीर में प्रसारित होने का भरपूर समय मिल जाता है और कई बार यह हमारे लिए प्राणघातक साबित हो सकता है। डेंगू में बुखार 104 डिग्री तक हो सकता है और इसके साथ ही कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं जैसे –

1.जी मिचलाना
2.सिर दर्द
3.हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
4.उल्टी होना
5.आँखों के पीछे दर्द रहना
6.शरीर पर चकते उभर आना
7.ग्रंथियों में सूजन आना

डेंगू बुखार को हम तीन प्रकारों से समझ सकते हैं (We can understand dengue fever in three ways)-

1.हल्का डेंगू बुखार –

इस बुखार के लक्षण समान्यतः हमें मच्छर के काटने के लगभग एक सप्ताह बाद दिखाई देने लगते हैं। इस बुखार के जटिल होने की बहुत सी संभावनाएं होती हैं और इसमें लक्षण कई बार घातक भी हो सकते हैं।

2.डेंगू रक्तस्रावी बुखार –

इस अवस्था में शुरू में बुखार के लक्षण काफी हल्के होते हैं, लेकिन बाद में यह लक्षण धीरे-धीरे गंभीर लक्षणों का रूप लेने लगते हैं।

3.डेंगू शॉक –

यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब डेंगू के लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं और हमारे लिए प्राणघातक होने लगते हैं। और इस अवस्था में कई बार व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है।

उपचार –

डेंगू बुखार के लिए अब तक कोई सटीक उपचार नहीं है लेकिन हम कुछ उपायों को अपनाकर इनसे बच सकते हैं। साथ ही हम कुछ पौधों के अर्क के बारे में बात करेंगे जो हमें डेंगू के बुखार में कुछ हद तक राहत पहुँचा सकते हैं। डेंगू के बुखार में हमारे प्लेटलेट्स संक्रमित हो जाते हैं और यही संक्रमित प्लेटलेट्स हमारी स्वस्थ प्लेटलेट्स को संक्रमित कर इनकी संख्या भी कम करने लगती हैं जो हमसे हमारे प्राण भी छिन सकता है। इसीलिए हम कुछ ऐसे अर्क का उपयोग करते हैं जो हमारी प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ाने का काम करते हैं।

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1.स्वछ्ता –

अपने शरीर की साफ- सफाई और इसके साथ ही अपने घरों और आसपास के वातावरण को साफ रखने की आवश्यकता होती है। क्योंकि डेंगू के मच्छर गंदे पानी में ही पनपते हैं, इसलिए ध्यान रहे के घरों के आसपास कहीं गंदा पानी जमा ना हो। आसपास नालों की समय-समय पर साफ सफाई हो। खाने-पीने की चीजों को ढककर रखें। साफ-सफाई के द्वारा ही हम कई घातक बीमारियों से बच सकते हैं।

2.शरीर को हाइड्रेट रखें-

जब हम बुखार में होते हैं या हम उल्टी करते हैं तो हमारे शरीर में पानी का क्षय हो जाता है। इसलिए पानी अक अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए ताकि ऐसी अवस्था में भी पानी की कमी ना हो।

3.दर्द निवारक दवाएँ-

प्रायः बुखार में और दर्द में हम पैरासीटामौल (Paracetamol) का सेवन करते हैं। कभी-कभी समस्या गंभीर होने या शरीर डीहाइड्रेट होने पर आईवी फ्लुइड (IV Fluid) भी प्रभावित व्यक्ति को दिया जाता है।

4.पौधों के अर्क-

हमारे पास कुछ ऐसे पौधे मौजूद हैं जिनके अर्क के सेवन से डेंगू पीड़ित व्यक्ति में प्लेटलेट्स काउंट की संख्या बढ़ती है और डेंगू के उपचार में राहत मिलती है।

1.पपीता (Papaya)-

शोधों के अनुसार पपीते की पत्ती डेंगु के उपचार में काफी हद तक फायदेमंद है। पपीते के पत्ते का अर्क हम दो तरीको से उपयोग में ल सकते हैं। पहला पत्तियों को अच्छे से धोकर इन्हें पानी में ताबा तक उबालें जब तक पानी आधा ना रह जाए, फिर इसे ठंडा कर इसका सेवन करें। दूसरा पपीते की पत्तियों को धोकर इन्हें कुचकर इनका रस निकाल कर इसका सीधे उपयोग करें। इसके अलावा पपीते का फल भी सेवन करें यह भी डेंगू के उपचार में लाभदायक है। क्योंकि पपीते की पत्तियों में एंटि-मलेरियल गुण मौजूद होता है जिसकी वजह से यह डेंगू के उपचार में भी बहुत प्रभावी है। शोधों के अनुसार पपीते के पत्ते के सेवन के 24 घंटे बाद से ही प्लेटलेट्स काउंटस बढ़ने लगते हैं और पपीते की पत्तियाँ ही डेंगू में अब तक सबसे प्रभावित अर्क साबित हुआ है, इसलिए अगर किसी व्यक्ति में डेंगू के लक्षण पाये गए हों तो उसे भी यह अर्क दिया जा सकता है ताकि आगे लक्षण घातक साबित ना हो।

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2.इंडियन पवेत्ता (Pavetta tomentosa)-

इस पौधे की पत्तियों के अर्क में डेंगू के विपरीत बहुत ही अच्छी एंटिवायरल एक्टिविटी पायी गयी है। शोधों के अनुसार इसकी एंटिवायरल एक्टिविटी डेंगू के उपचार में काफी फायदेमंद है।इनके अलावा और भी कई ऐसे पौधे हैं जिन पर शोध जारी हैं और जो डेंगू के उपचार में उपयोग में लाये जाते है जैसे- एंड्रोग्राफिस पैनिकुलाता (Andrographis paniculata), एनाकोलोसा परविलेना (Anacolosa pervilleana), राइजोफोरा एपिकुलाटा (Rhizophora apiculata) इत्यादि।

सबसे आसानी से मिलने वाला पौधा पपीता है और इसके फल भी प्रायः हमें हर मौसम में मिल जाते हैं। इसलिए डेंगु के उपचार में यह सबसे प्रभावित देशी तरीका है। इसलिए सबसे पहले साफ-सफाई का ध्यान रखें। अपने आसपास कहीं भी गंदा पानी जमा न होने दें। मच्छरों से बचाव करें। और लक्षणों को ज्यड़ा दिन नजरअंदाज ना करें। सतर्क रहें स्वस्थ रहें।

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