सीएचडी (CHD- Congenital heart defects)- एक जन्मजात हृदय रोग| (CHD (Congenital heart defects) – a congenital heart disease)

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सीएचडी (CHD- Congenital heart defects)- एक जन्मजात हृदय रोग (CHD (Congenital heart defects) – a congenital heart disease)

अक्सर हमने सुना है की किसी व्यक्ति को 30 की उम्र में हृदय रोग हुआ है या उससे पीड़ित है, या 40 से 50 वर्ष की आयु में वह हार्ट अटैक का शिकार हो गया, लेकिन क्या कभी हमने इस विषय पर सोचा है की हृदय रोग जन्मजात भी हो सकता है। कई बार जन्म से ही व्यक्ति में विकृति आ जाती है, कई बार यह समय के साथ ठीक भी हो सकती है और कई बार यह समय के साथ बढ़ भी जाती है। अब यह इस पर निर्भर करता है की व्यक्ति किस प्रकार की विकृति से परेशान या बीमारी से परेशान है। ऐसी ही एक समस्या के बारे में या यूं कह लें एक विकृति के बारे में हम बात करने वाले हैं जो की एक जन्मजात रोग है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति के हृदय , उसके कार्य या उसके शरीर में क्या परिवर्तन आते हैं यह देखेंगे।

सीएचडी (CHD- Congenital heart defects) क्या है (What is CHD (Congenital heart defects))-

सीएचडी (Congenital Heart Defects)एक ऐसी बीमारी है या रोग हैं या कह सकते हैं की जन्मजात विकृति है जो बच्चों को जन्म से होती है। यह हृदय की संरचना में कोई कमी या हृदय की संरचना सामान्य ना होने कारण होता हैं। इसमें हृदय सामान्य तरीके से रक्त को पम्प नहीं कर पाता है जिसकी वजह से हमारे शरीर में भी रक्त का संचरण (Blood flow) सामान्य नहीं रहता है। इसके अलावा हृदय की संरचना और कार्यशैली में भी बदलाव आ जाता है जो की हमारे लिए अन्य और बीमारियों का खतरा बन जाती है। वैसे तो सीएचडी (Congenital Heart Defects)के लक्षण समान्यतः आसानी से पता नहीं लग पाते हैं लेकिन समय-समय पर एक्स-रे, एक्स-प्लेन और कैट्रोकार्डियोग्राफी (Catrocardiography)का प्रयोग कर इसका पता लगाया जा सकता है ।

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जन्मजात हृदय दोष (सीएचडी) कई प्रकार के हो सकते हैं, लेकिन इसमें से कुछ प्रकार काफी सामान्य हैं जैसे की –

बड़ी धमनियों का स्थानांतरण (Transposition of the Great Arteries (TGA)-टीजीए) –

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय से निकलने वाली दो मुख्य रक्त वाहिकाओं की संरचना में बदलाव आ जाता है जिसकी वजह से वह अपनी सामान्य स्थिति से पूरी तरह अलग हो जाती हैं।

टेट्रालॉजी ऑफ फैलोट (Tetralogy of Fallot (TOF)-टीओएफ) –

यह हृदय के चार दोषों के एक साथ मिश्रण (Combination)वजह से होता है जो की व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन की कमी का कारण बन सकता है।

एट्रियल सेप्टल दोष(Atrial Septal Defect (ASD)-एएसडी) –

यह हृदय की दीवार में एक छेद है जो हृदय के ऊपरी दो कक्षों को अलग करने का कार्य करता है।

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वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष (Ventricular Septal Defect (VSD)-वीएसडी) –

यह भी एट्रियल सेप्टल दोष की तरह ही है जिसमें हृदय की दीवार में एक छेद होता है जो की हृदय के दो निचले कक्षों को अलग करता है।

पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (Patent Ductus Arteriosus (PDA) -पीडीए) –

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की एक वाहिका जिसे सामान्य रूप से जन्म के बाद बंद हो जाना चाहिए, वह खुली रह जाती है जिसकी वजह से यह समस्या होती है।

महाधमनी का संकुचन (Coarctation of Aorta)-

यह हमारे हृदय की सबसे महत्वपूर्ण धमनी जिसे हम महाधमनी या एओर्टा (Aorta)के नाम से भी जानते हैं, जो की ऑक्सीजन (Oxygen)युक्त रक्त को हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों तक लेकर जाने का कार्य करती है, इसमें ही जब संकुचन(Contraction)हो जाता है तो यह सीएचडी (CHD- Congenital heart defects)का कारण बनता है।

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महाधमनी स्टेनोसिस (Aortic stenosis)-

यह हमारे हृदय में मौजूद वाल्व का संकुचन (Contraction)है जो हृदय से शरीर के सभी हिस्सों में रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने का कार्य करता है।

पल्मोनरी स्टेनोसिस(Pulmonary stenosis) –

यह भी हृदय के वाल्व (Valve) के संकुचन से ही होता है जो हृदय से फेफड़ों तक रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने का काम करता है।

यह सीएचडी के कुछ सामान्य प्रकार हैं , इसके अलावा कुछ अन्य प्रकार भी हो सकते हैं।

जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) के कारण (Causes of Congenital Heart Disease (CHD)-

जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) हमारे की संरचनात्मक समस्याएं हैं जो जन्म के समय से मौजूद होती हैं। यह रोग हृदय के माध्यम से रक्त प्रवाह के सामान्य तरीके को प्रभावित कर सकते हैं और बाद में जीवन में कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) का कारण बन सकते हैं। सीएचडी के कुछ उदाहरण जो सीएचडी को जन्म दे सकते हैं उनमें शामिल हैं:

मित्राल स्टेनोसिस (Mitral stenosis),

जो हृदय में माइट्रल वाल्व का संकुचन है, जो की बाएं आलिंद (Left Aurical) से बाएं वेंट्रिकल (Left ventrical)
में रक्त के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न कर सकता है।

एओर्टिक स्टेनोसिस (Aortic stenosis),

जो महाधमनी मतलब एओर्टा वाल्व का संकुचन (Contraction)है जो बाएं वेंट्रिकल से महाधमनी तक रक्त के प्रवाह को बाधित कर सकता है।

महाधमनी का संकुचन(Contraction of the aorta),

जो महाधमनी (Aorta) का संकुचन है जो शरीर में रक्त के प्रवाह को बाधित कर सकता है।

जन्मजात हृदय रोग हमारे जीवनकाल में अन्य रोगों को भी बढ़ावा देते हैं और यह हमारे जीवन के लिए भी घातक साबित हो सकते हैं।

जन्मजात हृदय रोग(सीएचडी) के लक्षण (Symptoms of Congenital Heart Disease (CHD))-

बीमारी के आधार पर ही हम इनके लक्षणों को वर्गीकृत कर सकते हैं, इस रोग के कुछ सामान्य लक्षण हो सकते हैं जैसे

थकान या कमजोरी
तेज़ दिल की धड़कन या अनियमित दिल की धड़कन
तेजी से सांस लेना या सांस लेने में कठिनाई होना
खराब तरीके से वजन बढ़ना या बढ़ने में विफलता
सायनोसिस (Cyanosis) (ऑक्सीजन की कमी के कारण त्वचा, होंठ और नाखूनों का नीला पड़ना)
हार्ट बड़बड़ाहट (दिल की धड़कन के दौरान सुनाई देने वाली असामान्य आवाज)

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यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ सीएचडी रोगों में कोई लक्षण नहीं हो सकता है और बाद में कई बार जीवनपर्यंत तक इसका पता नहीं लगाया जा सकता है। अगर आपको भी कभी इनमें से कुछ लक्षण दिखाई दें तो कुछ विशेष जांच समय-समय पर अवश्य कराएं, इसके कुछ प्रबंधन (Management) या उपचार हो सकते हैं जैसे –

सर्जरी (Surgery)-

हृदय में क्षतिग्रस्त संरचनाओं की मरम्मत (Repairing damaged structures)या बदलने (Change) के लिए कई प्रकार के सीएचडी के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसमें ओपन-हार्ट सर्जरी, न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाएं या कैथेटर-आधारित प्रक्रियाएं (open-heart surgery, minimally invasive procedures, or
catheter-based procedures)शामिल हो सकती हैं।

दवाएं (Medicines)-

जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) लक्षणों को रोकने करने और जटिलताओं को कम करने के लिए कई मूत्रवर्धक, एसीई इनहिबिटर और हृदय के कार्यशैली या रिदम को ठीक करने के लिए एंटि-एराइथेमीक
दवाइयाँ(Diuretics, ACE inhibitors and anti-arrhythmic drugs)दी जाती सकती हैं।

जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle changes)-

किसी भी बीमारी से बचने के लिए आपकी जीवनशैली एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण होता है, इस रोग से ग्रसित लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए ताकि आप हर स्थिति को सामान्य कर सकें , धूम्रपान से बचना चाहिए, वजन संतुलित रखना चाहिए, खाने और योगा, व्यायाम पर जोर देना चाहिए।

समय- समय पर परीक्षण (Test from time to time) –

आपको समय – समय पर अपने शरीर की पूरी जांच करानी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार बीमारी से बचने में हम सक्षम हों।

कई बार क्या होता है की हम अपने शरीर में या अपने किसी प्रियजन के शरीर में लक्षणों को नजरअंदाज कर जाते हैं, लेकिन कई बार यह काफी खतरनाक रूप ले लेते हैं, इसलिए समय से ज्यादा समय किसी भी चीज को ना दे, चाहे वह बीमारी हो या गलत चीजों की आदत। इनसे बचें और अपना बचाव करें।

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