सुबह की सैर और हमारी सेहत (Subah Ki Sair Aur Hamaari Sehat)
हमारे देश में 80 प्रतिशत जनसंख्या गाँवो में निवास करती है मात्र 20 प्रतिशत जनसंख्या शहरों मे निवास करती है। शहरों में रहने वाले व्यक्ति ही ज्यादा बीमारियों एवं अवसाद से ग्रस्त रहते हैं। इसका कारण है उनकी अनियमित जीवन शैली। प्रायः यह देखने में आता है की गाँव के लोग प्रातः काल 4.00 बजे ही उठकर अपने खेतों अथवा अपने नित्य प्रति के कार्यो में लग जाते हैं, जिससे उनका स्वास्थ शहर वाले लोगों की अपेक्षा बहुत अच्छा एवं अवसाद रहित होता है। गाँव के लोगों की दिनचर्या नियमित होती है। वहीं शहर लोगों की दिनचर्या बहुत ही अनियमित होती है। शहर में लोग देर रात तक बेवजह जागते हैं और देर रात को सोते हैं जिससे वे प्रातः काल जल्दी नहीं उठ पाते। इसकी वजह से वे प्रातः काल के प्राकृतिक वातावरण का आनंद नहीं उठा पाते। इसका उनके स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
प्रातः काल सुबह जल्दी उठकर एवं नित्य कर्म से निवृत होकर सूर्योदय से पूर्व हमें प्राकृतिक वातावरण अथवा पार्क में सुबह की सैर हेतु प्रतिदिन अवश्य जाना चाहिए। प्रातः काल घुमने अथवा तेजी से पैदल चलने से हमारी समस्त मांस पेसियों का व्यायाम होता है साथ ही प्रातः काल की शुद्ध प्राण वायु हमारे शरीर में नयी ऊर्जा का संचार करती है और हमारे शरीर को अनेक रोगों से लड़ने अथवा नियंत्रित करने की ताकत देती है। सुबह प्रतिदिन कम से कम 3.50 किमी पैदल चलने से मधुमेह एवं हृदय रोग को नियंत्रित करने में आशातीत लाभ होता है खासकर मधुमेह के रोगियों को औषधि के अतिरिक्त प्रातः काल की सैर एवं पैदल चलने से बहुत ही ज्यादा लाभ होता है साथ ही वे मानसिक रूप से भी स्वस्थ महसूस करते हैं। प्रातः काल जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर खाली पेट कम से कम आधा से एक लीटर कुनकुना जल पीने से हमारे पेट के समस्त विकार दूर होते हैं। हमारा पाचन तंत्र मजबूत होता है।
प्रातः काल सैर पर जाने से हमारे भीतर नयी ऊर्जा का संचार होता है जिससे हम अपने आपको दिन भर तरोताजा रख पाते हैं और हमारी कार्यक्षमता बढ़ती है और हम अपने आपको अधिक स्वस्थ महसूस करते है। प्रातः काल सैर पर जाने से हमें प्रकृति से रूबरू होने का मौका मिलता है साथ ही पेड़ पौधों एवं पक्षियों का कलरव हमें बहुत मनमोहक लगता है जिससे मन को अधिक आनंद एवं शांति की अनुभूति होती है और हमारे मनोविकारों को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलती हैं। हमें वास्तविक आनंद की प्राप्ति होती जो हमें दीर्घायु बनाती और हम शारीरिक विकारों से दूर रहते हैं।
अतएव हमारे शरीर एवं मस्तिस्क को विकारों से दूर रखने हेतु नियमित दिनचर्या एवं अपने आपको अनुशासित रखना आवश्यक है ताकि हम प्रतिदिन प्रातः सैर पर जा सकें। प्रातः प्रतिदिन सैर पर जाने से हम अपने शरीर को और अधिक निरोगी रख पायेंगे । इसलिए सभी लोगों को प्रतिदिन प्रातः सैर अवस्य करनी चाहिए जिससे हम स्वयं हमारा समाज एवं देश की समस्त जनता स्वस्थ एवं निरोगी रहे।
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