महिलाएँ और हृदय रोग | Mahilayen Aur Hriday Rog

वैसे तो अगर देखा जाए तो महिलाएँ लगभग सभी बीमारियों से पुरुषों की तुलना में ज्यादा प्रभावित होती हैं। लेकिन कुछ बीमारियाँ ऐसी होती हैं जो महिलाओं को समान्यतः होती है और कुछ मामलों में कई बीमारियों से पुरुष ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन अगर हम बात करें तो शोधों के अनुसार 80 से 90 प्रतिशत हृदय रोग या हार्ट अटैक पुरुषों में ही देखे गए हैं। महिलाएँ अगर इनसे प्रभावित होती भी हैं तो क्यूँ आज हम इस बारे में चर्चा करेंगे।

हृदय रोग क्या है (What is heart disease)-

कोई भी ऐसी स्थिति या रोग जो हमारे हृदय की कार्य प्रणाली को प्रभावित कर सकते है, उसे हम हृदय रोग के नाम से जानते हैं। हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं जैसे –
1.कोरोनरी आर्टरी डिसिज (Coronary artry disease- CAD)
2.पेरिकार्डियल डिसिज (Pericardial disease)
3.हार्ट एराइथिमिया डिसिज(Heart arraythimia disease)
4.मायोकार्डियल इनफ्रैक्सन (Myocardial infraction-MI)
5.हार्ट वाल्व डिसिज (Heart valve disease)

बहुत से हृदय रोगों को हम अपनी हैल्थी लाइफ स्टाइल से ठीक कर सकते हैं पर कुछ इनमें से काफी गंभीर होते हैं जो हमारे लिए प्राणघातक भी होते हैं।

हृदय रोग क्यों होता है –

हृदय रोगों के कई कारण हो सकते हैं कुछ ऐसे कारक होते हैं जो हृदय की नियमित गति में अवरोध उत्पन्न कर उन्हें प्रभावित करते हैं और हृदय रोग उत्पन्न करते हैं जैसे की अगर हम बात करें कोरोनरी आर्टरी डिसिज (Coronary artry disease) की तो इसे हम एथेरोस्क्लोरोसिस के नाम से भी जानते हैं, इसमें धमनियों में प्लैक(Plaque) जमने की वजह से धमनियाँ संकीर्ण होने लगती है जिसकी वजह से रक्त का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता और रक्त प्रवाहित होने के लिए धमनियाँ अत्यधिक बल का प्रयोग करने लगती हैं। और इससे हृदय की गति पर भी असर पड़ता है और यह धमनियों में अवरोध उत्पन्न कर देता है। वैसे ही हार्ट वाल्व डिसिज (Heart valve disease)में हृदय में उपस्थित वाल्व हृदय में रक्त के आने और रक्त के बाहर जाने को कंट्रोल करता है। और वाल्व में किसी प्रकार का अवरोध या समस्या इस रोग को उत्पन्न करती है। वैसे ही अगर हम बात करें हार्ट एराइथिमिया डिसिज(Heart arraythimia disease) की तो इसमें हृदय की धड़कन की दर या लय में अस्थिरता आ जाती है। तो इस प्रकार हर हृदय रोग का कारक अलग- अलग होता है लेकिन यह सभी कारक हृदय रोग को ही जन्म देते हैं।

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महिलाओं में हृदय रोग (Heart disease in women) –

अगर हम बात करें महिलाओं की तो यह सच है की महिलाओं की मौत पुरुषों की अपेक्षा हृदय रोगों से कम होती है, लेकिन यह खतरनाक और प्राणघाती बीमारी दोनों पर भारी है। इसलिए महिलाओं को भी सचेत रहना चाहिए। महिलाओं में हृदय रोग के कुछ कारक है – फैमिली हिस्ट्री, मोटापा, मधुमेह, स्मोकिंग, एल्कोहौल, मेंटल स्ट्रैस, रजोनृवित्ति, शारीरिक गतिविधियों की कमी, उच्च कॉलेस्ट्रोल लेवल, किसी प्रकार की सूजन संबंधी बीमारी , गर्भावस्था में किसी प्रकार की अड़चन यह सब कारक महिलाओं में हृदय रोगों के कारक हो सकते हैं। इसीलिए महिलाओं को इन सबका ध्यान रखना चाहिए । एक अध्यन के अनुसार भारत में हृदय रोग से लगभग 19-20 प्रतिशत पुरुषों की और लगभग 15-16 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु होती है। इसलिए दोनों ही वर्ग को अपने हृदय को हर तरह से स्वस्थ रखने की आवश्यकता है।

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हृदय रोग से बचने के कुछ तरीके (Some ways to avoid heart disease) –

जैसा के हम सभी जानते हैं की अगर हम चाहें तो अपनी कुछ गलत आदतों को सुधार कर हम कई रोगों से बच सकते हैं। वैसे ही हम चाहें तो दिनचर्या में थोड़े बदलाव करके हम हृदय रोगों से बच सकते हैं ।

1.धूम्रपान –

धूम्रपान करने से हमारे शरीर में बैड कॉलेस्ट्रोल ( एलडीएल) का स्तर बढ़ जाता है जो हमारे शरीर में हृदय रोगों को उत्पन्न करता है। हमारे शरीर के लिए गुड कॉलेस्ट्रोल (एचडीएल) का लेवल संतुलित होना चाहिए क्योंकि यह हमारे हृदय और स्वास्थ्य दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है। बैड कॉलेस्ट्रोल के बढ़ने से यह हमारी धमनियों में जमने लगता है जिसकी वजह से धमनियाँ संकुचित होने लगती हैं, और रक्त वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह को कम कर देता है, जिसकी वजह से हृदय तक रक्त का प्रवाह सही तरीके से नहीं होता और यही फिर हृदय रोगों का कारण बनता है। इसलिए शरीर में कॉलेस्ट्रोल का लेवल हमेशा संतुलित रहना चाहिए।

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2.तनाव –

कई बार तनाव में जब व्यक्ति होता है तो वह अत्यधिक खाना शुरू कर देता है, या धूम्रपान करना शुरू कर देता है और यह दोनों ही हमारे लिए हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि ज्यादा खाने से मोटापे और फैट की समस्या उत्पन्न हो सकती है और धूम्रपान करने से कॉलेस्ट्रोल लेवल असंतुलित हो सकता है। जो की हमारे हृदय के लिए काफी हानिकारक सिद्ध हो सकता है। इसलिए हमेशा तनाव मुक्त रहें, कितनी भी मुश्किल या परेशानियाँ हों उन्हें सकारात्मक तरीके से सुलझाएँ।

3.संतुलित आहार –

शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से दूर रखने में संतुलित आहार का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इसलिए खाने पर ध्यान देना बहुत ही आवश्यक है। खाने में प्रोटीन, विटामिन और फाइबर युक्त अनाज का सेवन , हरी सब्जियों का सेवन और एंटिऑक्सीडेंट से भरपूर फलों का सेवन करना चाहिए । एक नियमित दिनचर्या के साथ एक संतुलित आहार भी बहुत आवश्यक है ताकि हम हमेशा बीमारियों से दूर रहें और बच सकें।

4.कॉलेस्ट्रोल लेवल –

जैसा के हमने पहले ही देखा के हमारे शरीर में गुड कॉलेस्ट्रोल का लेवल संतुलित होना बहुत ही आवश्यक है। हमारे लिए बैड कॉलेस्ट्रोल बहुत ही हानिकारक है और यह हमें हृदय रोगी बना सकता है। गुड कॉलेस्ट्रोल को हम हाइ डैन्सिटि लिपोप्रोटीन (HDL) के नाम से जानते हैं और बैड कॉलेस्ट्रोल को हम लो डैन्सिटि लिपोप्रोटीन (LDL) के नाम से जानते हैं। कॉलेस्ट्रोल का शरीर में संतुलित होना बहुत ही आवश्यक है इसलिए हमेशा हमें इसका संतुलन बनाए रखने के लिए खाने से लेकर शारीरिक गतिविधियों का ध्यान रखना चाहिए।

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5.रक्तचाप –

यह हमारे शरीर के लिए और हमारे हृदय दोनों के लिए एक खतरनाक कारक है। उच्च रक्तचाप हमारी धमनियों की एलास्टिसिटी को कम कर देता है जिसकी वजह से हमारे हृदय में रक्त के साथ- साथ ऑक्सीजन का प्रवाह भी कम हो जाता है ,जो की हृदय रोग का कारण बनता है। इसके अलावा यह छाती में दर्द सहित अन्य हृदय रोगों जैसे एनजाइना पेक्टोरिस (Angina pectoris), हार्ट अटैक (Heart attack) और हार्ट फाइल्योर (Heart failure) को उत्पन्न करता है।

6.संतुलित मधुमेह –

मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को हृदय रोगों का काफी खतरा होता है। मधुमेह हृदय रोग की संभावनाओं को काफी हद तक बढ़ा देते हैं। इसलिए मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को हमेशा अपने मधुमेह को कंट्रोल करके रखना चाहिए ताकि व्यक्ति हृदय रोगों से दूर रहे।

7. नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियाँ –

शारीरिक गतिविधियाँ बीमारियों से बचाव के साथ – साथ हमें स्वस्थ रखने के लिए काफी आवश्यक है, इसलिए नियमित रूप से योगा और व्यायाम हमेशा करना चाहिए । यह बीमारियों से हमें बचाता है और हमेशा स्वस्थ रखता है। यह मोटापे और संतुलित वजन के लिए भी काफी जरूरी है।

8.संतुलित मात्रा में एल्कोहौल का सेवन –

अत्यधिक शराब का सेवन करने से हमारे शरीर में उच्च कॉलेस्ट्रोल और उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह कार्डियोमायोपैथी, कैंसर और स्ट्रोक जैसे समस्याओं को जन्म देता है। ज्यादा एल्कोहौल के सेवन से मोटापा बढ़ने जैसी समस्या भी उत्पन्न होती है , इसलिए एल्कोहौल का सेवन एक सीमित मात्रा में करना ही सही है।

महिलाओं को एक उम्र के बाद कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए महिलाओं को अपने खान-पान , अपनी नियमित दिनचर्या और शारीरिक गतिविधियों पर हमेशा ध्यान रखना चाहिए। चाहिए फिर कोई महिला कामकाजी हो या गृहिणी हो।

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