एच थ्री एन टू वायरस (H3N2)क्या है और यह कितना भयानक है |What is H3N2 virus (H3N2) and how dangerous is it?

एच थ्री एन टू वायरस (H3N2)क्या है और यह कितना भयानक है (What is H3N2 virus (H3N2) and how dangerous is it?)-

देरी से पोस्ट के लिए माफी चाहती हूँ, स्वास्थ्य थोड़ा खराब होने के चलते आपके बीच कोई नयी जानकारी नहीं लेकर आ पायी, पर आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जो काफी पुराना है लेकिन समय के साथ बदलते हुए इसने भी नयापन ले लिया है, जी हाँ मैं बात कर रही हूँ फ्लू के बारे में जिसे हम कई बार इन्ल्फ़ुएंजा के नाम से भी पुकार लेते हैं। वैसे तो हम इतिहास से इसके बारे में सुनते आ रहे के पहले कब इंफ्लुएंजा आया , इससे क्या हुआ, कैसे हुआ, लेकिन आधुनिक भारत की बात करते हैं तो जैसे कोरोना ने रूप बदला लेकिन अब इंफ्लुएंजा भी रूप बादल रहा। अभी हाल में ही न्यूज में यह बताया गया की कोरोना एक विशेष प्रकार के कुत्ते की वजह से फैला था, और वैसे इंफ्लुएंजा मनुष्यों में भी होता है और जानवरों में भी जो की वायरस के अलग-अलग प्रकार से हो सकता है। अब समझने वाली या यूं कहूँ सोचने वाली बात यह है की हम मनुष्य जानवरों में बीमारियाँ फैला रहे या जानवर मनुष्यों में बीमारियाँ फैला रहे। आज हम बात करेंगे एच थ्री एन टू (H3N2) वायरस के बारे में की यह क्या है और इसके क्या प्रभाव हम पर हो सकते हैं।

इसे भी पढ़े  इटिंग डिसऑर्डर (खाने का विकार) - एक मनोरोग|Eating disorder - a psychiatric disorder in Hindi

एच थ्री एन टू (H3N2)वायरस क्या है (What is H3N2 (H3N2) virus?)-

इंफ्लुएंजा वायरस समान्यतः चार प्रकार के होते हैं, ए, बी, सी, और डी (A, B, C, D) । एच थ्री एन टू (H3N2) वायरस इंफ्लुएंजा ए (A) का सब प्रकार या सब वैरियंट (Subtype or subvariant) इसका मतलब है की कोई एक वायरस मुख्य प्रकार (प्रोटोटाइप- Prototype) का होता है, जिससे दूसरे प्रकार के वायरस निकाला आते हैं जिन्हें हम सब प्रकार या सब वैरियंट (Subtype or subvariant) कहते हैं, इनके लक्षण मुख्य वायरस की तरह ही होते हैं, लेकिन कुछ लक्षणों में यह उनसे भिन्न हो सकते हैं। अब इसके सबवैरियंट जैसे एच फाइव एन वन (H5N1) जिसे की हम बर्ड फ्लू के नाम से जानते हैं, जो की मुर्गियों एवं पक्षियों में बीमारियों का कारण बताया गया। इसी प्रकार स्वाइन फ्लू जो की सूअरों (Swaine) में होता है इसके लिए एच वन एन वन (H1N1) इसके अलावा एच थ्री एन टू (H3N2) को भी जिम्मेदार माना गया है। ऐसे और भी बहुत से फ्लू के प्रकार हैं जो की इन्सानों और मनुष्यों में बीमारियाँ फैला रहें हैं। लेकिन अब सोचने वाली बात यह है की कौन सा वायरस या वैरियंट ऐसा है जो इंसानों और जानवरों दोनों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर रहा है।

एच थ्री एन टू (H3N2)वायरस कितना घातक है (How deadly is H3N2 (H3N2) virus?)-

अगर हम फ्लू की बात करें, तो इसका एक प्रकार सर्दी, जुकाम, खांसी है, जो बहुत तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है, लेकिन वह किसी के लिए जानलेवा साबित नहीं होता, लेकिन हाँ व्यक्ति थोड़ा परेशान जरूर होता है, बहती हुई नाक, सर दर्द और सांस लेने में तकलीफ यह सब काफी तकलीफ देती हैं, लेकिन मेरा मानना है की अगर यह किसी अस्थमा से ग्रसित व्यक्ति को हो या माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को हो तो यह उनके लिए थोड़ा ज्यादा परेशान करने वाला हो सकता है। इसी तरह अगर हम एच थ्री एन टू (H3N2)वायरस की बात करें तो इसे जानलेवा या घातक तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन, यह आपको थोड़े दिन परेशान जरूर कर सकता है।

इसे भी पढ़े  महिलाएँ और हृदय रोग | Mahilayen Aur Hriday Rog

एन टू (H3N2)वायरस से ग्रसित व्यक्ति में लक्षण (Symptoms in a person infected with N2 (H3N2) virus)-

इस वायरस से समान्यतः बच्चे और बड़े प्रभावित हो रहें हैं, इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में लगभग सारे लक्षण एक सामान्य सर्दी से ग्रसित व्यक्ति के जैसे ही होते हैं, अब यह इस पर भी निर्भर करता है की व्यक्ति की प्रतिरक्षा (Immune system) प्रणाली कैसी है। इसके कुछ लक्षण हैं जैसे –

1.गले में खराश होना।
2.सर्दी और बहती हुई नाक।
3.मांसपेशियों में कमजोरी और शरीर में दर्द होना।
4.थकान और सरदर्द।
5.दस्त या उल्टी होना।
6.बुखार जैसा महसूस होना या हो जाना।
7.कफ होना और भारीपन महसूस करना।

Important Links

Join Our Whatsapp Group Join Whatsapp

एन टू (H3N2)वायरस से बचने के उपाय एवं उपचार (Measures and treatment to avoid N2 (H3N2) virus)-

वायरस हो, बैक्टीरिया हो या फिर फंगस (Fungus) इनसे होने वाले किसी भी संक्रमण से बचने के लिए सबसे पहले अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें, क्योंकि है हमारे पास एक सबसे अच्छा विकल्प है जो हमें बीमारियों से बचा भी सकता है साथ ही बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करता हैं और यह तभी संभव से आपका खान-पान अच्छी प्रकृति का होगा, मतलब पोषक तत्वों से भरपुर। खाने में प्रोटीन, विटामिन और एंटि-ओक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं जो हमें बीमारियों से बचाते है।

उपाय –

1.खाना संतुलित लें।
2. साफ-सफाई का ध्यान हमेशा रखें चाहे स्वस्थ हों या बीमार, बाहर जाते वक्त भीड़ के अनुसार मास्क अवश्य पहने चाहे कोरोना आपके आसपास हो या ना हो।
3.खाँसते और छिकते व्यक्ति से दूरी जरूर रखें।
4.अगर किसी व्यक्ति को कफ हो तो उससे भी दूरी बनाए रखें।
5.अगर गले में थोड़ी भी खराश लगे या सर्दी जैसा महसूस हो तो भाप लेना शुरू कर दें।

इसे भी पढ़े  व्यायाम: चिंता का प्राकृतिक उपचार | Exercise: A Natural Remedy for Anxiety in Hindi

इसके अलावा अगर आपको लग रहा की आप फ्लू से ज्यादा ही प्रभावित हैं तो आप बुखार के लिए पैरासीटामॉल ले सकते हैं , इसके अलावा कुछ एंटि-वायरल (Anti-viral) दवाएं जैसे पेरामिविर, ओसेल्टामिविर और बालोक्सवीर (peramivir, oseltamivir and baloxavir) चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ले सकते हैं।

किसी भी तरीके के वायरस या बैक्टीरिया से डरने की जगह उनसे बचने और ठीक होने की तरफ ध्यान देना जरूरी होता है, साथ ही खुद भी जाकरुक हों और दूसरों को भी करें ताकि फिर कोरोना वायरस जैसा कोई वाइरस किसी व्यक्ति का घर बर्बाद ना करें और लोग डर के चलते किसी और बीमारी का सामना करने से बचें।

अन्य पढ़े – 

सीएचडी (CHD- Congenital heart defects)- एक जन्मजात हृदय रोग

चेचक और खसरा क्या हैं, इनके बीच अंतर , लक्षण, प्रसार , उपचार और रोकथाम

ट्रिया हैल्थ क्या है- हैल्थ केयर सोशल प्लेटफॉर्म या फिर कुछ और

Leave a Comment

Important Links

Join Our Whatsapp Group Join Whatsapp