टाइप सी चयापचय में खाद्य पदार्थों का निर्धारण (Determination of foods in type C metabolism)
आज हम बाते करेंगे चयापचय मतलब की मेटाबोलिज्म की। हर व्यक्ति का मेटाबोलिज्म अलग-अलग होता है, वैसे ही जैसे हर इंसान का रक्त समूह (ब्लड ग्रुप ) अलग-अलग होता है। कई बार हमारे मेटाबोलिज्म के हिसाब से हम चीजें खाना पसंद करते हैं और हम स्लिम भी रहते है पर वही अगर कोई व्यक्ति हमारे जैसे चीजों को कम मात्रा में भी खाये तो वह मोटा हो जाता है। तो हमारा मेटाबोलिज्म हमारे शरीर के आकार, हमारे वजन और हमारी ऊँचाई को भी प्रभावित करता है। कई बार आपने सुना होगा लोगों के कहते ही हम कितना ही खा लें हमारे शरीर में नहीं लगता, पर वहीं कई लोगों भोजन शरीर में इतना लगता है की अगर वह थोड़ा सा भी खा लें तो वजन बढ़ने लगता है और इतना बढ़ जाता है की वजन कम करना मुश्किल हो जाता है। इसका मुख्य कारण सिर्फ हमारा मेटाबोलिज्म है। कई बार आपने देखा होगा की कई लोग जंक फूड का सेवन करके भी स्वस्थ और पतले दिखाई देते हैं पर इसके विपरीत ही कुछ लोग इसके सेवन से बहुत मोटे हो जाते हैं और उनके लिए वजन कम करना भी मुश्किल होता है , यह सब सिर्फ निर्भर करता है हमारी चयापचय व्यवस्था पर ।
चयापचय प्रायः तीन प्रकार के होते हैं ए, बी और सी जो की हमारे चयापचय के मापन को निर्धारित करता है। आज हम बात करेंगे टाइप सी चयापचय में शामिल खाद्य पदार्थों की। टाइप सी चयापचय टाइप ए और बी का मेल है, और अगर आप इस वर्ग में आते हैं तो आप नमकीन और मीठा दोनों खाने की लालसा रखेंगे।
अगर हम टाइप सी चयापचय के कुछ लक्षणों की बात करें तो हम इसमें शामिल करते हैं (If we talk about some of the symptoms of type C metabolism, then we include)-
1.वजन कम करने में कठिनाई महसूस होना।
2. दर्द एवं थका हुआ महसूस करना।
3.तनाव और चिंतित रहना।
4.कभी भूख लगना या कभी नहीं लगना मतलब भूख में उतार- चढ़ाव ।
5.मीठे और नमकीन दोनों प्रकार के खाद्य पदार्थों की लालसा रखना।
खाद्य या भोज्य पदार्थों का निर्धारण (Determination of food items ) –
टाइप सी चयापचय में खाद्य पदार्थों में समान रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा को संसाधित करने की क्षमता पायी जाती है। और यही कारण है की इस प्रकार के मेटाबोलिज्म वाले व्यक्ति को मीठा और नमकीन स्वाद वाले भोजन खाने की बहुत लालसा होती है। इस प्रकार में हम थाली में अत्यधिक वसा की मात्रा रख सकते हैं साथ ही थाली में बराबर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा अवश्य होना चाहिए। खाने के समय इन बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए ताकि वजन के साथ -साथ हार्मोन भी संतुलित रहे, इसके लिए हमें ओमेगा -3 फैटी एसिड युक्त भोज्य पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। इस प्रकार में हाई फैट और लो फैट दोनों प्रकार के भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। हमें दूध से बने पदार्थों, ड्राईफ्रूट्स, अलसी और मछ्ली का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा मध्यम से कम मात्रा में प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। मसाले युक्त भोजन, कॉफी और चाय का सेवन कम करना चाहिए। इसके अलावा चिकन, सोयाबीन, शकरकंद, केला खाने में शामिल करना चाहिए। सब्जी जैतून के तेल में बनाना ज्यादा फायदेमंद है , साथ ही हरी सब्जियों का सेवन, साबुत अनाज और एंटिऔक्सिडेंट्स युक्त फलों का सेवन करना चाहिए हैं।इसके अलावा फाइबर युक्त भोज्य पदार्थों का भी सेवन करना चाहिए ताकि पाचन सही रहे और वजन भी ना बढ़े।
टाइप सी चयापचय प्रकार में व्यक्ति थायराइड जैसी बीमारी से भी ग्रसित हो जाता है, और उसकी वजह से पाचन भी कमजोर हो जाता है, थकावट महसूस होने लगती है। इसलिए इस प्रकार में खाने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ताकि चयापचय भी अच्छा रहे और स्वास्थ्य भी।
अन्य पढ़े –
रूसी या डैंड्रफ को ठीक करने में प्रभावी कुछ प्राकृतिक भोजन एवं कुछ औषधीय पौधे
Important Links
|
|
Join Our WhatsApp Group | Join WhatsApp |
हाई प्रोटीन डाइट का वैकल्पिक स्तोत्र – कोरोना से स्वस्थ होने में महत्वपूर्ण भागीदारी
कुछ पादप आधारित खाद्य पदार्थ जिनका सेवन हर हफ्ते करना चाहिए