मंकीपौक्स वायरस – क्या फिर आने वाले खतरे की घंटी है? (Monkeypox Virus – Are there alarm bells to come again?)
ना जाने अब तक हमने कितने वायरसों का सामना किया है। अभी कुछ दिन पहले ही एक वायरस ने महामारी की स्थिति पैदा की थी जिसमें मानव- समुह को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था, जिसे हम सार्स को वायरस के नाम से जानते हैं।हमने स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू जैसे रोगों के बारे में सुना है जो वायरस से ही होता है। हम अब तक कोरोना से नहीं उबर पाये हैं की फिर एक वायरस ने अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया है और फिर एक महामारी के आने का संकेत दे रहा है, जिसे हम मंकीपौक्स के नाम से जानते हैं। यह चेचक का ही एक स्वरूप है जो मुख्यतः अफ्रीका के क्षेत्रों में पाया गया है। शोधों के अनुसार मंकीपौक्स की खोज के लैबोरेटरी में 1958 में की गयी थी, और यह तब किया गया जब कुछ बंदरों में चेचक के लक्षण पाये गए और यह भी पाया गया की या वायरस चूहों और खरगोशों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। क्योंकि इसकी पहचान चेचक के रूप में सर्वप्रथम बंदरों में की गयी, इसलिए इसका नाम मंकीपौक्स पड़ा। हाल में ही यह हमारे बीच चर्चा का विषय बना है क्योंकि एक नाइजीरिया के रहने वाले
व्यक्ति के द्वारा इसका संचार ब्रिटेन और अमेरिका में देखा गया है। मंकीपौक्स वायरस आर्थोपौक्स वायरस जीनस के पौक्सविरिडे नामक परिवार से संबन्धित है। चेचक का वायरस और काऊपौक्स भी इसी परिवार से संबन्धित है।
मंकीपौक्स वायरस क्या है (What is monkeypox virus)-
मंकीपौक्स वायरस एक डबल-स्टैंडड्रेड डीएनए (DNA)जो की आर्थोपौक्स वायरस जीनस से संबन्धित है। यह वायरल जूनोटिक बीमारी है, मतलब जानवरों से मानव में फैलने वाली बीमारी। अगर हम मंकीपौक्स वायरस से उभरने वाले लक्षणों की बात करे तो यह चेचक वायरस के लक्षणों से काफी मिलता है।
मंकीपौक्स वायरस का प्रसार (Spread of monkeypox virus) –
मंकीपौक्स वायरस के फैलने के प्राकृतिक कारणों का अब तक पता नहीं चला है, लेकिन पाया गया है की यह किसी मनुष्य के शरीर में किसी संक्रमित व्यक्ति, पशु या इस वायरस से संक्रमित किसी भी वस्तु या सामाग्री से फैल सकता है। इसके अलावा किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के रक्त से, घाव के रिसाव से, छिकने पर निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से, संक्रमित व्यक्ति के त्वचा के संपर्क में आने से या शरीर के तरल पढ़ार्थों से भी फैल सकता है। इसके अलावा अधपका माँस का सेवन भी इसके फैलाव का एक कारण हो सकता है।
मंकीपौक्स के लक्षण (Symptoms of monkeypox)-
मंकीपौक्स के लक्षण लगभग 6- 14 दिन या फिर 2 से 4 सप्ताह के भीतर दिखाई पड़ते हैं। इसके लक्षण चेचक के लक्षणों से काफी मिलते हैं। लेकिन मंकीपौक्स में लासिका ग्रंथि में सूजन आ जाती है और चेचक में ऐसा नहीं होता है। मंकीपौक्स में थकावट, बुखार, पीठ दर्द, ठंडी, हेडेक आदि लक्षण शामिल हैं। साथ ही जब व्यक्ति बुखार से पीड़ित होता है तो चेचक की तरह इसमें भी व्यक्ति के शरीर में छोटे-छोटे लेजन्स (Lesions)
मतलब रैसेश उभरने लगते हैं। और यह चेहरे से लेकर पूरे शरीर में फैलने लगते हैं।
मंकीपौक्स से बचाव या रोकथाम के उपाय (Tips to prevent or prevent monkeypox) –
वैसे तो इसके लिए अब तक कोई प्रभावी उपचार नहीं है, लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर इसे बचा जा सकता है। चेचक का टीका भी कुछ हद तक हमे इसे बचा सकता है क्योंकि यह दोनों ही वायरस एक ही परिवार से संबन्धित हैं। इसके अलावा कुछ उपाय हैं जो अपनाए जा सकते हैं-
1.संक्रमित व्यक्ति से दूरी बना कर रखें।
2.किसी भी संक्रमित जानवर, व्यक्ति से रक्त से बचें, उसकी त्वचा से बचें।
3.किसी भी संक्रमित सामाग्री या चीजों को चुने से बचें।
4.अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाएँ ताकि आप स्वस्थ रहें और ऐसे रोगों से बचें।
5.हाथ धोये बिना कभी खाने को या इस्तेमाल की चीजों को ना छुए।
6.समान्यतः भी हमें सर्दी, खाँसी के मरीजों से बचना चाहिए और अगर पास जाना पड़े तो मास्क लगाएँ और हाथ को सैनिटाइज भी करें।
7.संक्रमित व्यक्ति या पशु के घावों के संपर्क में आने से बचें।
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इस वायरस का अब तक कोई प्रमाणित उपचार नहीं आया है लेकिन हमें किसी भी वायरस, बैक्टीरिया से बचने के लिए अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखना होता , ताकि हम हर बीमारी से अपने आप को बचा सकें। अपने साथ मास्क और सैनिटाइजर (अल्कोहलयुक्त) हमेशा रखें, और भीड़भाड़ वाली जगहों पर तो मास्क का उपयोग अवश्य करें, और चूंकि यह किसी संक्रमित व्यक्ति की त्वचा से भी फैल सकता है तो किसी ऐसे व्यक्ति की त्वचा के संपर्क में भी आने से बचें जिनमें लक्षण दिखाई दें।
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