मिर्गी क्या है, प्रकार, कारण, रोगजजन, लक्षण और संकेत, परीक्षण और उपचार |What is epilepsy, types, causes, pathogenesis, symptoms and signs, Diagnosis and treatment

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1 मिर्गी क्या है, प्रकार, कारण, रोगजजन, लक्षण और संकेत, परीक्षण और उपचार ( What is epilepsy, types, causes, pathogenesis, symptoms and signs, Diagnosis and treatment)

मिर्गी क्या है, प्रकार, कारण, रोगजजन, लक्षण और संकेत, परीक्षण और उपचार (
What is epilepsy, types, causes, pathogenesis, symptoms and signs, Diagnosis and treatment)

दौरा या अटैक , जिसका नाम सुनते ही लोगों के दिल में दारा समा जाता है, चाहे फिर वह व्यक्ति खुद जिसे दौरा आया हो या उसके परिवार वाले दोनों ही डर में जीवन जीते हैं, अब ये दौरा चाहे दिल का हो या दिमाक का , व्यक्ति के लिए दोनों ही कई बार घातक सबीता हो सकते हैं। दिमाक के दौरे से मेरा मतलब है मिर्गी। किसी व्यक्ति को दौरा किसी भी चीज का आ सकता है, चाहे अस्थमा का, चाहे दिल का, चाहे मिर्गी का। कोई भी दौरा या अटैक व्यक्ति को कहीं भी और कभी भी आ सकता है। आप चाहे घर पर हो या, पार्क में टहल रहे हों या आप गाड़ी चला रहे हों। कई बार या अटैक हमारे लिए गाड़ी चलाते वक्त दुर्घटना का कारण भी बन जाते हैं और हमारी जान पर भी बन आती है, आज हम बात करेंगे ऐसे ही एक दौरे की जो कई बारा हमारे जीवन के अंतिम पड़ाव तक भी हमारा साथ नहीं छोड़ता है और इसकी वजह से कई बार हमें लोग अलग नजरिए से भी देखने लगते हैं। इसे हम मिर्गी या सीजर (Epilepsy or seizure) के नाम से जानते हैं।

मिर्गी क्या है What is Epilepsy) –

मिर्गी एक ऐसा विकार या समस्या है जिसमें कुछ अवधि (समय ) के लिए और अप्रत्याशित (Periodic and unpredictable) दौरे (Seizures) के घटना घटित (Occurrence) होती है, और यह समस्या तब होती है जब हमारे मस्तिष्क (Brain) में अचानक ही कोई अनियंत्रित वैद्युत गड़बड़ी (Sudden Uncontrolled electrical disturbance in the brain) हो जाती है। इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं की हमारे शरीर में बहुत से आयन्स और मिनेरल्स (Ions and minerals) मौजूद होते हैं, जो हमें समस्थिति (Homeostasis) की अवस्था में रखते हैं, और यह हमारे सभी अंगों से किसी संदेश (Message) को मस्तिष्क तक रासायनिक तत्वों जिसे हम न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) के नाम से जानते हैं, की सहायता से पहुँचाते हैं, इसमें यह आयन्स और मिनेरल्स (Ions and minerals)जो की पॉजिटिव या नेगेटिव (+ ve -) चार्ज लिए होते हैं और यही संदेश को सही सलामत मस्तिष्क तक पहुँचाने का कम करते हैं, जब इसमें कोई गड़बड़ी होती है तब हम इसे अनियंत्रित वैद्युत गड़बड़ी (Sudden Uncontrolled electrical disturbance in the brain)का नाम दे देत हैं और यही हमारे लिए मिर्गी का कारण बनता है।

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मिर्गी के प्रकार (Types of epilepsy) –

मिर्गी को वैद्युत गड़बड़ी के आधार पर दो प्रकारों में बता गया है –

1.जनरलाइज्ड सीजर (Generalised seizure)-

मिर्गी को हम सीजर के नाम से भी जानते हैं, इस प्रकार के सीजर में वैद्युत गड़बड़ी (electrical disturbance)पूरे मस्तिष्क (Whole brain) में शामिल होती है, मतलब इस प्रकार की मिर्गी में हमारा पूरा मस्तिष्क प्रभावित होता है।

यह चार प्रकार के होते हैं –

1.अबसेंस सीजर (Absence seizure) –

इस प्रकार की मिर्गी या दौरा संक्षिप्त (Brief) समय के लिए होता है और व्यक्ति इसमें अपने होश में नहीं रहता या यू कह लें के अचानक ही अपनी चेतना (Consciousness) खो देता है।

2.एटोनिक सीजर (Atonic seizure) –

इस प्रकार के दौरे में माँसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और काम करने की ताकत कम हो जाती है।

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3.मायोक्लोनिक सीजर (Mayoclonic seizure) –

इस प्रकार में किसी माँसपेशी या मांसपेशियों के समूह में एंठन या मरोड़ पैदा होने लगती है।

4.टोनिक-क्लोनिक सीजर (Tonic-clonic) –

इस प्रकार में व्यक्ति अपने होश (Consciousness) खो देता है या कहें बेहोश हो जाता है।

2.पार्सियल सीजर (Partial seizure) –

यह मिर्गी का दूसरा प्रकार है जो की किसी व्यक्ति के केवल किसी एक हिस्से या भाग के प्रभावित (Affected) होने से होता है।
यह तीन प्रकार का हो सकता है –

1.सिम्पल पार्सियल सीजर (Simple partial seizure) –

इस प्रकार में व्यक्ति की चेतना (Consciousness) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

2.कॉम्प्लेक्स पार्सियल सीजर (Complex partial seizure) –

इस प्रकार के दौरे में व्यक्ति की चेतना जा सकती है और वो बेहोश (Unconsciousness) हो जाता है।

3.पार्सियल विथ सेकेंडरी जनरलाइज्ड टोनिक-क्लोनिक सीजर (Partial with secondary generalised tonic-clonic seizure) –

जैसा की हमने देखा की सिम्पल पार्सियल सीजर (Simple partial seizure)में व्यक्ति की चेतना पर कोई असर नहीं होता पर कॉम्प्लेक्स पार्सियल सीजर (Complex partial seizure) में व्यक्ति बेहोश हो जाता है, पार्सियल विथ सेकेंडरी जनरलाइज्ड टोनिक-क्लोनिक सीजर दोनों हो सकता है। व्यक्ति इसमें बेहोश हो जाता है और यह तब होता है जब पार्सियल सीजर (Partial seizure) व्यक्ति के मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को प्रभावित कर देता है।

कारण (Causes) –

वैसे तो इसके कारण कई हो सकते हैं, साथ ही यह जन्मजात (By birth) भी हो सकता है, लेकिन इसका पता बच्चे के थोड़े बड़े होने के बाद ही समझ आ पाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे-

1.सर पर गंभीर चोट या आघात (Head injury or trauma) ।
2. चोट लगने पर ज्यादा खून का बहना (Heavy blood flow) ।
3.सर पर किसी घाव का होना (Wound) ।
4.ज्यादा एल्कोहौल का सेवन (Alcoholism)।
5.मस्तिष्क की कोशिकाओं में पस (Pus) का भर जाना और सूजन (Swelling) आ जाना (Brain abscess) ।

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रोगजनन (pathogenesis)-

रोगजनन या पैथोजेनेसिस का मतलब होता है कोई रोग किसी व्यक्ति में किन चरणों या प्रक्रियायों में सम्पूर्ण होता है, या कौन- कौन से स्तर हैं जो रोग उत्पन्न करते हैं, ऐसे ही मिर्गी या दौरे के कारक होते हैं –

1.  हमारे मस्तिष्क में एक निरोधात्मक (inhibitory)न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) मौजूद होता है जिसे हम गाबा (Gaba) के नाम से जानते हैं, जिसका पूरा नाम गामा अमीनो ब्यूटाईरिक एसिड (Gamma amino butyric acid) है, निरोधात्मक (inhibitory) का मतलब होता है शरीर में किसी रासायनिक समीकरण (Chemical reaction) के ज्यादा होने पर उसका विरोध कर उसे संतुलित करना, दूसरा एक्ससाईटेटरी (Excitatory) न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) जिसे हम अमीनो एसिड ग्लूटामेट ( Amino acid gluatmate) के नाम से जानते हैं, एक्ससाईटेटरी (Excitatory) का मतलब होता है किसी रासायनिक समीकरण (Chemical reaction) की प्रक्रियायों को बढ़ाना।

2. गामा अमीनो ब्यूटाईरिक एसिड (Gamma amino butyric acid)अपना प्रभाव दिखाने के लिए हमारे शरीर में मौजूद एक विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन जिसे हम रेसेप्टर (Receptor) कहते से जुड़ता है इसे हम गाबा रेसेप्टर (Gaba receptor)के नाम से जानते है और अमीनो एसिड ग्लूटामेट (Amino acid gluatmate),एन- मेथिल डी- एसपारटेट (N-Methyl D- aspartate)नामक रेसेप्टर (Receptor) से जुड़ता है इसके साथ ही यह नॉन-एन- मेथिल डी- एसपारटेट (N-Methyl D- aspartate)नामक रेसेप्टर (Receptor) से जुड़ कर गतिविधि (Action) या प्रभाव दिखाते हैं।

3. जैसा की मैंने पहले ही बताया की हमारे शरीर में बहुत से आयन्स और मिनेरल्स (Ions and minerals) पाये जाते हैं, जो की चार्ज (Charge) लिए होते हैं, और कोशिकाओं और ऊतकों (Cells and tissues)में शरीर में इन आयन्स और मिनेरल्स (Ions and minerals)के आदान- प्रदान (Exchange) से ही हमारा शरीर समस्थिति (Homeostasis) की अवस्था में रहता है, आयन्स और मिनेरल्स (Ions and minerals)के आदान- प्रदान (Exchange) के लिए कोशिकाओं में एक एक चैनल (Channel) पाया जाता है जिसे वोल्टेज-गेटेड सोडियम, पोटैसियम, कैल्सियम और क्लोरीन चैनल (Voltage gated Na+, K+, Ca+ और Cl- channel) कहा जाता है, जब गामा अमीनो ब्यूटाईरिक एसिड (Gamma amino butyric acid)अपने गाबा रेसेप्टर (gaba receptor) से जुड़ता है या अमीनो एसिड ग्लूटामेट (Amino acid gluatmate)अपने एन- मेथिल डी- एसपारटेट (N-Methyl D- aspartate)नामक रेसेप्टर (Receptor) या नॉन-एन- मेथिल डी- एसपारटेट (N-Methyl D- aspartate)नामक रेसेप्टर (Receptor)से जुड़ता है तो यह रेसेप्टर (Receptor) सक्रिय (Activate) हो जाते हैं, और यह इस वोल्टेज-गेटेड सोडियम, पोटैसियम, कैल्सियम और क्लोरीन चैनल (Voltage gated Na+, K+, Ca+ और Cl- channel) के संतुलन (Balance)को प्रभावित (affect) करने लगते हैं, एक एक निरोधात्मक (inhibitory)प्रभाव (Impact) उत्पन्न करता है और दूसरा एक्ससाईटेटरी (Excitatory)प्रभाव उत्पन्न करने लगता है, जिसकी वजह से आयन्स और मिनेरल्स (Ions and minerals)के आदान- प्रदान (Exchange) पर प्रभाव पड़ता है, और वोल्टेज-गेटेड सोडियम, पोटैसियम, कैल्सियम और क्लोरीन चैनल (Voltage gated Na+, K+, Ca+ और Cl- channel)ऑल ऑर नन (All or None) के सिद्धांत पर कार्य करने लगता है, मतलब या तो संतुलित मात्रा में आयन्स और मिनेरल्स (Ions and minerals)का आदान- प्रदान (Exchange)कर पाएगा और और इस पर काम करेगा या कुछ नहीं करेगा और शांत बैठ जाएगा,या तो इसे आग (Fire) की तरह बढ़ा देगा यह फिर पानी (Water) की तरह शांत कर देगा।

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4. इसकी वजह से कोशिकाओं में सोडियम (Na+) का अंतर्वाह (Influx)बढ़ जाएगा और पोटैसियम (K+) का बहिर्वाह (Outflux) बढ़ जाएगा मतलब की कोशिकाओं में सोडियम (Na+)की मात्रा बढ़ने लगेगी और पोटैसियम (K+)का कोशिकाओं के बाहर जाने की वजह से इसकी कमी होने लगेगी, क्योंकि हमारे शरीर में न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) न्यूरॉन्स (Neurons) पर कार्य करते हैं, यह न्यूरॉन्स (Neurons)आयन्स और मिनेरल्स (Ions and minerals) जैसे सोडियम, पोटैसियम, क्लोरीन और कैल्सियम से आवेश (Charge) लेते हैं, और जब वोल्टेज-गेटेड सोडियम, पोटैसियम, कैल्सियम और क्लोरीन चैनल (Voltage gated Na+, K+, Ca+ और Cl- channel) का संतुलन बिगड़ता है और सोडियम (Na+) का अंतर्वाह (Influx)और पोटैसियम (K+) बढ़ता है तो यह न्यूरॉन्स (Neurons) डिस्चार्ज (Discharge) होने लगते हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह हमारा मोबाइल बिना चार्जर (Charger) के चार्ज नहीं होता और बैटरी कम हो जाती है और एक समय के बाद मोबाइल (Mobile) काम करना बंद कर देता है ठीक वैसे ही हमारे न्यूरॉन्स (Neurons) भी असमान्य (Abnormally)तरीके से डिस्चार्ज (Discharge)होके काम करना बंद कर देते हैं और इसी की वजह से दौरे (Seizure) उत्पन्न होते हैं।

यह चार चरण (Steps) किसी व्यक्ति में दौरे या मिर्गी (Seizure or epilepsy) के लिए जिम्मेदार होते हैं।

संकेत और लक्षण (Sign and symptoms) –

वैसे तो कई बार व्यक्ति को इसका पता आसानी से नहीं चल पाता, लेकिन लक्षणों को ध्यानपूर्वक (carefully) अवलोकन
(Observation) करने से इसका पता लगया जा सकता है-
जैसे-

1. जैसे कोई उलझन (Confusion) में रहना,
2.हाथ या पैर में अचानक बेकाबू मरोड़ या एंथन होने लगना (Uncontrollable jerking movement) ।
3.किसी चीज में ध्यान ना होना या अपने होश या चेतना (Consciousness)ना रहना ।
4.किसी चीज के लिए बहुत ज्यादा भावुक (Emotional) हो जाना यह किसी चीज से काफी डर (fear) जाना या किसी बात की दिनभर चिंता (Anxiety) में लगे रहना।
5.कभी-कभी हाथ या पैर में दर्द होना और चक्कर लगना, साथ ही कमजोरी लगना।
6.कभी-कभी चीजों को भूल जाना या अचानक बेहोश हो जाना।

निदान (Diagnosis) – इसके निदान के लिए कुछ परीक्षण (test) किए जाते हैं –

1.ई.ई. जी. (EEG- electroencephalogram) –

इस टेस्ट में मस्तिष्क में मौजूद वैद्युत आवेश (Electrical charge) की गतिविधि को नापा जाता है।

2.एम.आर. आई.- मैग्नेटिक इमेजिंग रेसोनेन्स (MRI- Magnetic imaging resonance) –

यह टेस्ट मैग्नेटिक फील्ड का उपयोग कर मस्तिष्क में होने वाली गतिविधियों
का पता लगाया जाता है।

उपचार (Treatment) –

मिर्गी या सीजर इसके प्रकार पर निर्भर करता है, हम मरीज को संयोजन (Combination) में दवाई दे सकते हैं- जैसे कार्बमजेपीन (Carbamaxepine), सोडियम वलपोरेट (Sodium valporate), क्लोनाजेपम (Clonazepam), इसमें से कुछ दवाइयाँ चिंता को दूर करती हैं तो कुछ सोडियम की मात्रा को संतुलित करती हैं, तो कुछ सोडियम चैनल को निष्क्रिय करने का काम करती हैं। दवाइयों का सेवन चिकित्सक (Doctor) के परामर्श से ही करें। इसके अलावा फिजीओथेरपी (Phyiotherapy) से भी यह ठीक हो सकता है, अगर मस्तिष्क पर प्रभाव ज्यादा ना हो तो।

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