छत्तीसगढ़ में पायी जाने वाली कुछ भाजियाँ एवं उनके उपयोग | Chhattisgarh mai payi jane wali bhajiya evam unke upyog

जैसा के हम सब जानते हैं “छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा” कहा जाता है, लेकिन यह धान के साथ- साथ विभिन्न प्रकार की भाजियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है, जो कई बीमारियों के उपचार में भी उपयोगी है। साथ ही यह भाजियाँ शरीर को पोषक तत्व भी प्रदान करती हैं, आइये देखते ही कुछ ऐसी ही भाजियों के उपयोग:-

1.लाल भाजी
2.चौलाई भाजी
3.बथुआ भाजी
4.चरौटा भाजी
5.अमारी भाजी
6.बर्रे भाजी
7.चना भाजी
8.कुलथी भाजी
9.पटवा भाजी
10.तिनपनिया भाजी
11. खेड़ा भाजी
12.कांदा भाजी
13.बोहार भाजी
14.करमत्ता भाजी
15.मेथी भाजी
16.मुली भाजी
17.मुनगा भाजी
18.प्याज भाजी
19.नोनिया भाजी या कुल्फा भाजी
20.कोचई भाजी (अरबी पत्ता)

1.लाल भाजी :-

इस भाजी में विटामिन ए, विटामिन C, विटामिन E, आयरन, एंटिओक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। यह फाइबर का एक बहुत ही अच्छा स्तोत्र है जो कब्ज के लिए काफी लाभदायक होता है। यह गर्भवती महिलाओं को भी दिया जाता है। कैल्सियम और पोटेसीयम भी का अच्छा स्तोत्र है। साथ ही इस भाजी की पत्तियों में पाये जाने वाले रासायनिक घटक कॉलेस्ट्रोल को संतुलित रखने का कार्य करते हैं। चावल के साथ लाल भाजी का स्वाद लजीज लगता है। इसका सेवन गर्मी के दिनों में पेट के लिए काफी लाभदायक होता है। इसका सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को , हड्डियों को मजबूत रखता है और पाचन को भी अच्छा रखता है।

2.चौलाई भाजी :-

यह भाजी कुछ मात्रा में विटामिन C का स्तोत्र है। यह अल्सर, डायरिया, मुँह एवं गले की सूजन और उच्च रक्तचाप को कम करने में उपयोगी है।

3.बथुआ भाजी :-

बथुआ भाजी में लगभग सभी प्रकार के वितामीन्स अँड मिनेरल्स पाये जाते हैं, और यह दाँतों की समस्या, कब्ज, भूख बढ़ाने, पीलिया में उपयोगी है साथ ही खून को साफ करता है और पेट में कृमि को साफ करता है। चर्म रोग में भी इसका उपयोग किया जाता है।

4.चरौटा भाजी:-

चरौटा भाजी की मुलायम पत्तियों को सब्जी के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे पनवड़ या पवार भाजी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी पत्तियाँ एक्जिमा, सोरयासिस एवं अन्य चर्म रोगों में किया जाता है। यह आँखों की रोशनी बढ़ाने में भी उपयोगी है। यह पुल्टिस (Poultice) के रूप में घाव एवं फोड़े, फुंसी को ठीक करने एवं सूजन कम करने में उपयोग में लाया जाता है। यह पेट में मरोड़ और दर्द निवारण के लिए भी उपयोगी है। यह गरम प्रकृति की होती है, अतः इसका सेवन सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।

Important Links

Join Our Whatsapp Group Join Whatsapp
इसे भी पढ़े  डेंगू बुखार, कारण , लक्षण एवं उपचार में प्रभावित कुछ पौधों के अर्क (Plant extracts)| Extracts of some plants affected in dengue fever, causes, symptoms and treatment in Hindi

5.अमारी भाजी:-

इसकी मुलायम पत्तियों एवं टहनियों को भाजी के रूप में उपयोग में लाया जाता है। यह कैल्सियम, आयरन और बीटा कैरोटीन से भरपूर होती है।

6.बर्रे भाजी:-

इनकी पत्तियों एवं कोमल तनों को भाजी के रूप में उपयोग में लाया जाता है। यह भाजी पालक और मेथी भाजी से भी ज्यादा फायदेमंद है। यह विटामिन एवं मिनेरल्स से भरपूर होते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते हैं एवं स्वस्थ्यवर्धक के रूप में उपयोगी है।

7.चना भाजी:-

चने भाजी की मुलायम पत्तियों को साग के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इसकी पत्तियों में भरपूर मात्र में आयरन, रेशा पाया जाता है। यह प्रोटीन से भी भरपूर है जिसकी वजह से इसे प्रोटीन का राजा भी कहा जाता है। यह ठंडी प्रकृति की होती है, और अस्थमा में उपयोगी है।  साथ ही इसका रस कब्ज, डायबिटिस, पीलिया आदि रोगों में काफी फायदेमंद है। इसकी पत्तियों को चोट एवं हड्डियों को ठीक करने में भी उपयोग में लाया जाता है। इससे पेट भी साफ होता है।

8.कुलथी भाजी:-

इसकी कोमल पत्तियों तनों को भाजी के रूप में उपयोग किया जाता है। यह किडनी से संबन्धित बीमारियों में, किडनी में पथरी को दूर करने में लाभदायक है।

9.पटवा भाजी:-

इसकी पत्तियों को भाजी के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इसकी पत्तियों को सांभर, आचार, रायता एवं अन्य सब्जियों के साथ उपयोग में लाया जाता है। यह कैंसर, उच्च रक्तचाप, जीवाणुरोधी के रूप में उपयोग में लाया जाता है। यह रक्त, गले ,पेट को सही रखने और पेचिश में भी लाभदायक है। यह एनीमिया, मधुमेह, कॉलेस्ट्रोल जैसी बीमारियों में भी लाभकारी है।

10.तिनपनिया भाजी:-

इसकी कोमल पत्तियों को भाजी में रूप में प्रयोग में लाया जाता है। इसकी पत्तियाँ थोड़ी खट्टी होती हैं जिसका कारण आक्सैलिक अम्ल (Oxalic acid)होता है। इसकी प्रकृति ठंडी होती है और इसकी चटनी लू से बचाने का भी काम करती है। इसे मधुमक्खी और कीड़ों के काटी हुई जगह पर रगड़ने से दर्द और जलन कम होता है।

11. खेड़ा भाजी:-

इसके सभी भाग जैसे पत्ते, मूनगे की तरह इसकी स्टिक की भी सब्जी बनाई जाती है ,इसे मसालेदार एवं दही दोनों में बनाया जाता है। यह सर्दी-जुखाम में खेड़ा भाजी पेय पदार्थ पीने से काफी हद तक आराम मिलता है। इसकी प्रकृति गर्म होने के कारण यह ठंड में काफी फायदेमंद होता है।

इसे भी पढ़े  तनाव से राहत और बेहतर मूड के लिए योग | Yoga for Stress Relief and Improved Mood in Hindi

12.कांदा भाजी:-

बेल के प्रकार का पौधा है जिसकी पत्तियों को कांदा भाजी के नाम से जाना जाता है। यह आँखों के लिए, पहमारी हड्डियों एवं प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए भी काफी लाभदायक है और त्वचा संबंधी बीमारीयों में भी लाभदायक है। इसकी पत्तियों में रेशा और प्रोटीन काफी मात्र में मौजूद होता है और यह एंटिओक्सीडेंट्स से भी भरपूर है, यह कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से लड़ने में कारगर है।

13.बोहार भाजी:-

इसके पौधों के पुष्पगुच्छ या पुष्पकलियों को भाजी के रूप में बनाया जाता है। यह काफी स्वादिष्ट होता है । इसका फल कृमिनाशक, पाचक होता है और मूत्र संबंधी रोगों को दूर करने मे सहायक है। इसके फल का उपयोग काढ़े के रूप में कफ को बाहर निकालने में किया जाता है।

14.करमत्ता भाजी:-

इसकी पत्तियाँ भाजी के रूप में उपयोग में लाई जाती हैं और बेसन के साथ बनाने पर काफी स्वादिष्ट बनती है। यह मुँह के चले को ठीक करती है और इसकी पत्तियाँ मधुमेह में भी प्रभावी हैं।

15.मेथी भाजी:-

इसकी पत्तियों और कोमल तनों को भाजी के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इसमें मेडिसिनल प्रॉपर्टीस मौजूद होती हैं। इसके बीज मधुमेह में बहुत प्रभावी है। इसकी पत्तियों को पराठे में या भाजी के रूप में खा सकते हैं । इसकी पत्तियों से सब्जी या टमाटर की चटनी में बहुत स्वाद आता है। । इसके अलावा पेट की क्रिमी से लेकर सिर दर्द जैसी आम समस्याओं से मेथी भाजी से निजात दिलाती है। इस भाजी को दही, महीऔर साथ में मूँग या चने के दाल के साथ बनाया जाता है।

16.मुली भाजी:-

इसका पूरा भाग खाया और सब्जी के रूप में भी बनाया जाता है। मुली का रस पीलिया के रोग में काफी लाभदायक होता है। मूली भाजी ठंड में शरीर के लिए काफी लाभदायक है। इसके अलावा यह चर्म रोग जैसी समस्याओं को भी दूर करती है। यह कब्ज, पाचन, गैस और एसिडिटि की समस्याओं में भी काफी लाभदायक है। यह मूत्रसंबंधी विकारों, खून को साफ रखने में काफी कारगर है। इसे हम डीटोक्सिफाई एजेंट के रूप में भी उपयोग में लाते है। यह हमारे लिए काफी लाभदायक है।

17.मुनगा भाजी:-

इसे सहजन भी कहा जाता है, इसके पत्ते, फल और फूल तीनों उपयोग मेन लाये जाते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन, प्रोटीन, विटामिन और एंटिऔक्सीडेंट्स मौजूद होता है। इसके अलावा इसमें पोटैशियम, मैग्निशियम मौजूद होता है। सहजन की पत्तियों की भाजी का सेवन करने से पेट के कृमि मरते हैं साथ ही शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है। इसका रस त्वचा, आँखों, दस्त, हैजा, पीलिया के काफी लाभकारी है।

इसे भी पढ़े  हर्बल कॉस्मेटिक्स एवं उनमें उपयोग होने वाले कुछ हर्ब्स | Herbal Cosmetics Unmein Upyog Hone Wale Kuch Herbs

18.प्याज भाजी:-

इसकी पत्तियों और काँदे दोनों का उपयोग किया जाता है। इसकी भाजी चने के दल के साथ काफी स्वादिष्ट बनती है, यह उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी रोगों, कैंसर के बचाव और मधुमेह जैसे रोगों से बचाव में काफी सहायक है। यह आँखों, हड्डियों, पाचन संबंधी रोगों, अस्थमा और गठिया जैसे रोगों में भी काफी लाभकारी है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटिऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स मौजूद होते हैं। साथ ही कई मिनेरल्स भी इसमें मौजूद होते हैं, जो शरीर के लिए काफी जरूरी होते हैं। यह एंटि-बैक्टीरियल और
एंटि-वाइरल भी है।

19.नोनिया भाजी या कुल्फा भाजी:-

इसकी कोमल पत्तियों और तनों को सब्जी के रूप में खाया जाता है, इसकी प्रकृति शीतल होती है ,इसे सलाद के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है। इसमें पानी, प्रोटीन और बहुत से मिनरल मौजूद होते हैं। इसके अलावा इसमें विटामिन्स भी प्रचुर मात्र में मौजूद होते हैं। यह जोड़ों, हड्डियों, मूत्रसंबंधी रोगों में लाभकारी है । साथ ही यह बुखार, दस्त में भी उपयोगी है। इसकी पत्तियों का लेप एक्जिमा और चर्म रोगों में उपयोग में लाया जाता है और यह हृदयवर्धक के रूप में भी उपयोगी गई।

20.कोचई भाजी:-

इसे अरबी या कोचई पत्ती के नाम से जाना जाता है। इसकी पत्तियों को बेसन में लपेटकर भाप में पकाकर ही तल के भी खाया जाता है, या मसालेदार सब्जी या दही के साथ खट्टी सब्जी बनाते हैं। इसके काँदे जिसे कोचई भी बोलते हैं, की भी सब्जी मसाले या दही में बना के सेवन करते हैं। इसकी पत्तियों में भरपूर मात्रा में एंटिऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, साथ में विटामिन्स और प्रोटिन्स भी मौजूद होते हैं। इसके सेवन उच्चरक्तचाप के नियंत्रण, पाचन तंत्र की मजबूती और आँखों को स्वस्थ रखने में भी लाभदायक है। साथ ही जोड़ों के दर्द में राहत और वजन कम करने में भी सहायक है।

यह छत्तीसगढ़ में पायी जानी वाली कुछ ऐसी भाजियाँ या साग हैं, जो एंटिऑक्सीडेंट्स , रेशे, विटामिन्स और प्रोटीन से युक्त होती हैं , और हमारे शरीर के लिए काफी स्वथ्यवर्धक होते हैं। भाजियों का सेवन सही मात्रा में करें। इन सभी भाजियों पर शोध होते रहें हैं और आज भी हो रहें हैं।

अन्य पढ़े – 

मोटापे के कारण, उनसे होने वाली बीमारियाँ एवं मोटापे को कम करने के कुछ उपाय

एंटीजेन (Antigen) और एंटिबॉडी (Antibody) क्या है, प्रतिरक्षा प्रणाली में इसकी भूमिका, एंटीजेन-एंटिबॉडी रिएक्शन का उपयोग

एंटिआक्सिडेंट क्या है

शुगर या मधुमेह क्या है, प्रकार, लक्षण एवं संतुलन के कुछ उपाय

Leave a Comment

Important Links

Join Our Whatsapp Group Join Whatsapp