पैपिलोमा वायरस संक्रमण क्या है, प्रकार, कारण, लक्षण ,उपचार एवं बचाव
कई बार हमारी त्वचा पर कुछ ऐसी अनचाही चीजें दिखने लगती हैं, जो हमें बेकार लगती हैं दिखने में, हमारी त्वचा को खराब भी करती हैं और कई बार यह भयंकर बीमारी का रूप भी ले सकती हैं। जैसे शरीर के किसी भी भाग पर तिल या मस्से जिसकी वजह से कई बार हमारे चेहरे की सुंदरता भी घट जाती है। कई बार यह तिल या मस्सों का आकार नहीं बढ़ता लेकिन कई बार यह आकार में समय के साथ बड़े होने लगते हैं। और कई बार इनमें दर्द भी होने लगता है। आज हम ऐसे ही एक वायरस के बारे में बात करेंगे जो की हमें काफी कष्ट दे सकता है। आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही वायरस की बात करेंगे जो हमारे शरीर में मस्सों (Warts)का कारक होता है, जिसे हम
पैपिलोमा वायरस के नाम से जानते हैं। क्या है यह जानते हैं।
पैपिलोमा वायरस संक्रमण क्या है
यह पैपिलोमा वायरस (Papillomavirus) से होने वाला एक वायरल (Viral) संक्रमण (Infection)है, जिसकी वजह से शरीर के किसी भी भाग या हिस्से की त्वचा या श्लेष्मा (Skin or mucus)की वृद्धि होने लगती है, जिसे हम मस्सा (Wart) कहते हैं। यह संकर्मण समान्यतः शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है , चाहे वह योनि (Vagina) हो, शिश्न (Penis) हो या गर्भाशय की दीवार (Cervix), गुदाद्वार (Anus) हो या चाहे को भी हिस्सा, यह कहीं भी हो सकता है । यह वायरस लगभग 100 रूपों (Type) में पाया जाता है, जिसमें से कई प्रकार या रूप कैंसर (Cancer) जैसी खतरनाक बीमारी भी पैदा करते हैं।
क्या पुरुष और महिला दोनों को यह संक्रमण हो सकता है-
जी हाँ बिल्कुल हो सकता है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों के गुप्तांग या गुप्तांग के किसी अन्य हिस्सों में भी हो सकता है या आसपास। क्योंकि कोई भी वायरस किसी में भेद नहीं करता , चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) कमजोर है तो आप इस वायरस से जल्दी से संक्रमित हो सकते हैं, और आप कैंसर से भी प्रभावित हो सकते हैं। क्योंकि सभी जानते हैं की जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) कमजोर होती है वो जल्दी बीमार होता है।
पैपिलोमा वायरस के प्रकार –
पैपिलोमा वायरस को HPV- Human papilloma virus भी कहा जाता है। पैपिलोमा वायरस के लगभग 100 से 200 प्रकार होते हैं जिसमें से लगभग चौदह प्रकारों (Fourteen types) को खतरनाक माना गया है जिसमें बताया गया है , जिसमें (HPV)-16,18, 31, 33, 35, 39, 45, 51, 52, 56, 58, 59, 66, और 68 यह प्रकार हैं। इसमें से 16 एचपीवी (HPV) और 18 HPV को इस वायरस के संक्रमण से होने वाले कैंसर के लिए जिम्मेदार माना गया है।
इन्हें हम दो प्रकारों से बाँट सकते हैं –
1.कम जोखिम वाले वायरस (Low risk virus) –
इसमें हम 6 एचपीवी ( HPV) और 11 (HPV) को रखते हैं। यह दोनों प्रकार समान्यतः जननांगों (Gentials) में होने वालों मस्सों का निर्माण करते हैं। और यह बहुत ही कम कैंसर में परिवर्तित होते हैं, इसलिए यह हमारे लिए ज्यादा खतरनाक नहीं होते हैं।
2.ज्यादा जोखिम वाले वायरस (High risk factor) –
ज्यादा जोखिम वाले एचपीवी (HPV) में हम 16, 18, 31 और 45 जिसे हम काफी खतरनाक रूपों के लिए जानते हैं, जो हमें कैंसर से प्रभावित करते हैं। इसके अलावा कुछ और भी प्रकार हैं जिन्हें हम इस समूह में रख सकते हैं जैसे एचपीवी (HPV) 33, 35, 39, 51, 52, 56, 58, 59 को भी हम ज्यादा रजोखिम वाले समूह में रख सकते हैं।
कुछ एचपीवी (HPV) हमारी त्वचा के, मुँह के, जजनांगों में मस्सों के लिए जिम्मेदार होते हैं जैसे एचपीवी (HPV)6, 7, 11, 13 , 16 और 32 यह सब मस्से उत्पन्न करते हैं साथ या त्वचा के मस्सों के लिए भी जिम्मेदार है।
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कारण –
यह संक्रमण एक यौन संचारित रोग (Sexual transmitted disease),संभोग की वजह से या उससे फैलने की वजह से ) है, जो की संभोग की गतिविधियों (Sexual activities) वजह से होती है जिसके मुख्य कारण होते हैं-
1.कई लोगों के साथ संबंध (संभोग- intercourse)।
2.संभोग के दौरान सुरक्षा का उपयोग ना करना जैसे निरोध (Condom)।
3.संभोग के दौरान एवं बाद में साफ – सफाई से ना रहना।
4.जननागों की साफ सफाई ना रखना।
5.किसी एचपीवी (HPV) संक्रमित व्यक्ति के साथ संभोग की गतिविधियां (Sexual activities)।
6.एचपीवी (HPV) संक्रमित व्यक्ति के साथ ओरल सेक्स (मुख मैथुन- Oral sex) करना।
7.किसी एचपीवी (HPV) संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के संपर्क (जहाँ मस्से हुए हैं) में आना।
इसके अलावा कुछ ऐसे भी कारक हैं जो इस संक्रमण को लगातार बनाए रखने और कैंसर के रूप में परिवर्तित करने में सहायक होते हैं जैसे-
1.लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों (Contraceptive pill) का उपयोग सरवाईकाल कैंसर (Cervical cancer) के लिए जिम्मेदार।
2.कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Weak immune system)।
3.धूम्रपान करना (Smoking)।
4.लंबे समय से कोई बीमारी का होना (Chronic inflamation)।
5.गुदा मैथुन करना (Anal cancer)।
6.क्लैमाइडिया, गोनोरिया और हर्पीज सिम्प्लेक्स (chlamydia, gonorrhea and herpes simplex)।
मस्से क्या हैं (What are warts)-
मस्से त्वचा के एक ऐसे संक्रमण (Infection) जो की पैपिलोमा वायरस की वजह से होता है, जिसमें शरीर में किसी भी भाग में ,शरीर की त्वचा में वृद्धि होने लगती है, और इसी वृद्धि को हम मस्सों का रूप देते हैं। मस्सों का यह रूप को हम वेरुकाई या वार्ट्स (verrucae or warts) कहते हैं। यह गैर-कैंसर युक्त होती है, लेकिन कई बार यह कैंसर का रूप भी ले लेती है। यह इस पर निर्भर करता है की हम किस प्रकार के एचपीवी (HPV) से संक्रमित हुए हैं।
एचपीवी (HPV) से होने वाले मस्सों के कुछ प्रकार हैं – जैसे
1.फ्लैट वार्ट्स (Flat warts) –
यह मस्से त्वचा में हल्के उभरे हुए घाव (Lesions) होते हैं, यह प्रायः बच्चों के चेहरे पर, महिलाओं के पैरों और पुरुषों के दाढ़ी वाले भाग में होता है।
2. कॉमन वार्ट्स (Common warts) –
इसे हम आम मस्सों के नाम से जानते हैं। यह उभरे हुए खुरदुरे रूप में होते हैं। इन मस्सों में दर्द और चोट लगने पर यह रक्तस्त्राव के लिए अतिसंवेदनशील होते है। यह मस्से दिखने में काफी भद्दे होते हैं और प्रायः उँगलियों और हाथों में होते हैं।
3.जेंसियल वार्ट्स (Gential warts)-
यह जननांगों के मस्सों के रूप में जाने जाते हैं। यह मस्से दिखने में सपाट, उभरे हुए घाव (Lesion) होते हैं, यह फूलगोभी (Cauliflower) या उसके तनों के रूप (Stem like)की तरह दिखते हैं, और पुरुषों में लिंग (Penis), अंडकोश (Scrotum) या फिर गुदाद्वार (Anus) में होता है। यह कई बार दर्द और खुजली दोनों के कारक बनते हैं। कई बार यह उभरे हुए मस्से आपको असहज या असुविधा (Uncomfortable) महसूस करा सकते हैं। महिलाओं में यह मस्से योनि (Vagina) पर, योनि के आसपास, गर्भाशय (Cervix), जननांग (Vulva) में या इसके आसपास होते हैं। यह महिलाओं को भी असहज महसूस कराते हैं।
4.प्लांटार वार्ट्स (Plantar warts)-
यह बिल्कुल गोखरू (Corn) की तरह होते हैं हो चुने में काफी कठोर (Hard) और अनाज की तरह दानेदार (Grainy like grains) होते हैं। यह मस्से पैर में एड़ियों में होते हैं। इनमें कई बार दर्द (Pain) नहीं होता है, लेकिन कई बार इसमें दर्द भी महसूस होता है।
यह कुछ मस्सों के प्रकार हैं।
सरवाईकल कैंसर (Cervical cancer) का एक मुख्य कारण यह एचपीवी (HPV) संक्रमण भी हो सकता है। कई बार इसके लक्षण भी पता नहीं चल पाते हैं , जिसकी वजह से यह कैंसर का भयानक रूप ले लेता है।
परीक्षण (Testing) –
पैपिलोमा वायरस से फैले संक्रमण या होने वाले मस्सों का सर्वप्रथम परीक्षण हम देख के पता कर सकते हैं, क्योंकि शरीर में हो रहे बदलाव को हम अच्छी तरह देख और समझ सकते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे परीक्षण है जिससे की इस संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए डीएनए (DNA) परीक्षण, विनिगर (एसीटिक)घोल (Vinegar (acetic) solution) परीक्षण और पैप परीक्षण (Pap test) किया जाता है।
उपचार (Treatment) –
पुरुषों में (In Male)-
पैपिलोमा वायरस से संक्रमित व्यक्ति में प्रायः कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते , तब तक जब तक की पुरुषों के जननांगों में या आसपास किसी प्रकार के मस्से(Warts)दिखाई ना पड़े। कई बार इन मस्सों को चिकित्सकों द्वारा सर्जरी जैसे क्रायोसर्जरी (Cryosurgery)जिसमें मस्सों को नाइट्रोजन (Nitrogen) की सहायता से फ्रीज (Freez) किया जाता है, कर निकाल दिया जाता है, और अगर यह संक्रमण की शुरुवात है तो क्रीम (Cream) का उपयोग कर सकते हैं। कुछ दवाइयाँ (Medicines)जैसे ट्राइक्लोरोएसिटिक एसिड (Trichloroacetic acid), सैलीसिलिक एसिड(Salicylic acid)जो की मस्सों (Warts) की ऊपरी परत को निकालने का कम करती हैं, लेकिन यह त्वचा पर जलन उत्पन्न करती है, यह चेहरे पर उपयोग नहीं किया जा सकता है।
महिलाओं में (In Female)-
महिलाओं में भी कई बार इसके लक्षण पता नहीं चल पाते जब तक की यह शरीर के किसी हिस्से या जननांगों में या आसपास मस्सों का स्वरूप ना ले लें। महिलाओं को भी चिकित्सकों के परामर्श लेके ऊपर दी हुई दवाइयों का उपयोग करना चाहिए। मस्से अगर छोटे हों या उनकी वृद्धि कम हो तो दवाइयों या क्रीम को उपयोग में लाया जा सकता है।
परंतु अगर मस्से दवाइयों से या किसी मेडिकेटेड क्रीम से ठीक होने लायक ना हों यह कैंसर का रूप ले लें तो इन्हें फिर सर्जरी द्वारा निकाला जाता है।
बचाव (Prevention) –
पैपिलोमा वायरस के संक्रमण से बचाव व्यक्ति स्वयं कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित है या उसके जननांगों में संक्रमण है तो उसके साथ मैथुन (Sex) और मौखिक मैथुन (Oral sex) करने से बचें, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। निरोध (Condom) का उपयोग करें पर इसके बाद भी सफाई का विशेष खयाल रखें। यह एक यौन संचारित रोग (sexual transmitted disease) है।
वैक्सीनेसन (Vaccination)-
एचपीवी वायरस (HPV Virus) के संक्रमण से हेतु एवं इससे होने वाले गुप्तांगों (Private parts) के कैंसर के रोकथाम हेतु वैक्सीन जैसे गार्डासील (Gardasil)को उपयोग में लाया जाता है। अतः हर एक व्यक्ति को इसे लगवा लेना चाहिए। आप इसे अपने चिकित्सक के परामर्श से 9 साल से लेकर 45 साल तक (9 to 45 years) किसी भी उम्र में लगवा सकते हैं।
हर बीमारी का बचाव हमसे ही शुरू होता है, की हम कैसे रहते हैं, क्या खाते हैं, कितनी सफाई रखते हैं, हमारी दिनचर्या क्या है। यह हमें बीमारी से प्रभावित भी करते हैं और बचाते भी हैं, साथ ही हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कितनी मजबूत है या हम इसे कितना अच्छा रख सकते हैं यह भी हमें बीमारियों से बचाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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