दवाई क्या है , यह मनुष्य के शरीर में काम कैसे करती है (What is medicine, and how does it work in human body?)
दवाई (Medicine) –
दवाई एक ऐसा पदार्थ या केमिकल है जो किसी व्यक्ति को बीमारी से बचाने, बीमारी को ठीक करने या उपचार में,शरीर के कार्य को सुचारु रूप से चलाने, किसी बीमारी का पता लगाने या शरीर में या फिर शरीर में किसी प्रकार अनचाहे परिवर्तन को रोकने या ठीक करने में उपयोग में आता है। यह कृत्रिम (Synthetic), अर्द्धकृत्रिम (Semisynthetic) या फिर प्राकृतिक (Natural) स्तोत्र से पाये और बनाए जाते हैं। हम इनका उपयोग सिरप, टैब्लेट, पाउडर किसी भी रूप (Form) में ले सकते हैं।
दवाई हमारे शरीर में 2 सिद्धांत से कार्य करती है-
1.फार्माकोकाईनेटिक (Pharmacokinetic)-
फार्माकोकाईनेटिक (Pharmacokinetic) में यह अध्ययन किया जाता है की अगर मनुष्य ने किसी दवाई (Medicine) का सेवन किया है तो हमारा शरीर उस दवाई पर क्या प्रभाव डालता है या कौन-कौन से चरण (steps)का पालन हमारे शरीर द्वारा उस दवाई के लिए किया जाता है। इसमें चार प्रकार के चरण देखे जाते हैं-
1.अवशोषण (absorption)
2.वितरण (distribution)
3.चयापचय (metabolism)
4.उत्सर्जन (excretion)
1.अवशोषण (absorption)-
दवाई के शरीर में जाने के बाद यह प्रथम चरण (first step) है , इसमें दवाई को लेते ही दवाई बिना परिवर्तित हुए हमारे रक्त में अवशोषित होने लगती है। हमारे शरीर में सबसे ज्यादा दवाई का अवशोषण हमारी छोटी आंत (small intestine) द्वारा किया जाता है क्योंकि इसका सतह क्षेत्रफल (surface area) बड़ा होता है।
2.वितरण (distribution)-
यह अवशोषण के बाद होने वाला दूसरा चरण (second step) है , जिसमें रक्त में अवशोषित होने के बाद रक्त के प्रवाह के साथ और हमारे ऊतकों की वजह से दवाई अलग-अलग स्थान पर गति (movement) करने लगती है जो अचयापचय (unmetabolized) रूप में हमारे शरीर में मौजूद होती है। यह हमारे शरीर में दवाई लेने का बाद सबसे महत्वपूर्ण चरण है, क्योंकि यही तय करता है की किस दवाई को कितनी मात्रा में कहाँ पहुँचना है और अपना प्रभाव (Action) दिखाना है। इस चरण में यह भी पता लगता है की किसी दवाई का हमारी कोशिकाओं या ऊतकों से सामंजस्य बैठ रहा या नहीं, या दवाई अपना प्रभाव दिखा रही है या नहीं।
3.चयापचय (metabolism)-
यह फार्माकोकाईनेटिक (Pharmacokinetic) का तीसरा चरण है जिसमें दवाई का एक रूप से दूसरे रूप में शरीर द्वारा परिवर्तन कर दिया जाता है,इसमें साइटोक्रोम पी 450 (cytochrome P450) नामक एंजाइम की भी भूमिका होती है। यह प्रक्रिया अधिकांशतः यकृत (liver) में होती है, क्योंकि दवाई का रूप परिवर्तित करने वाले एंजाइम्स (Enzymes) यकृत में मौजूद होते हिन जो दवाइयों को आसानी से शरीर से बाहर होने के लिए दूसरे रूप में परिवर्तित करती है ताकि दवाइयों का निस्काषन शरीर से आसानी से हो सके।
2.फार्माकोडाईनेमिक (Pharmacodynemic)-
अब तक हमने फार्माकोकाईनेटिक में देखा की दवाई का हमारे शरीर में जाते ही हमारा शरीर दवाई के साथ क्या करता है, लेकिन फार्माकोडाईनेमिक (Pharmacodynemic) में यह बिल्कुल विपरीत इसमें हम यह अध्ययन करते हैं की अब दवाई हमारे शरीर के साथ क्या करता है, मतलब दवाई हमारे शरीर में अपना क्या प्रभाव छोड़ती है, या किस बीमारी के लिए या किसी परीक्षण के लिए कैसे काम करती है , इसकी कार्य-प्रणाली किसी बीमारी या तकलीफ या किसी स्वस्थ्य समस्या के लिए क्या है। किस प्रकार से कोई दवाई हमारे शरीर में काम करती है, उसका क्या प्रभाव है, कौन से अनचाहे प्रभाव यह दे सकती है, इस सबका अध्ययन फार्माकोडाईनेमिक (Pharmacodynemic) में किया जाता है।
तो यह दो महत्वपूर्ण प्रणाली है जिसके अनुसार कोई दवाई हमारे शरीर में अपना प्रभाव छोड़ती है।
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