ब्लड ग्रुप (रक्त समूह) एवं हमारे स्वास्थ का संबंध
हमारे शरीर को स्वास्थ रखने में रक्त का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। रक्त या खून हमारे शरीर में बहने वाला लाल रंग का एक ऐसा तरल पदार्थ है जो हमारी कोशिकाओं में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को पहुँचाने का कार्य करता है और साथ ही शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर करने का कार्य करता है। रक्त हमारे शरीर के सभी अंगों में निरंतर प्रवाह में बहता रहता है, और हमारे हृदय द्वारा पम्प किया जाता है। रक्त हमारे शरीर में ब्लड क्लोट (Blood clot) प्रक्रिया को करके रक्त के अत्यधिक स्त्राव को रोकता है, यह ऐसी कोशिकाओं और एंटिबौडिस (Antibodies) को लाने, ले जाने का कार्य करता है जो हमें संक्रमण से बचाते हैं और बीमारियों से लड़ने का कार्य करते हैं। यह अपशिष्ट पदार्थों को किडनी और लिवर तक लाने का कार्य करता है, जो रक्त को छानते और साफ करते हैं।
ब्लड ग्रुप (Blood Group)-
ब्लड ग्रुप को हम रक्त कोशिकाओं की सतह पर उपस्थित एंटिबॉडी और आनुवांशिक रूप उपस्थित एंटिजेनिक पदार्थों की उपस्थिति के आधार वर्गीकृत करते हैं। ब्लड ग्रुप प्रणाली के आधार पर ये एंटिजन प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट,ग्लाइकोलिपिड या ग्लाइकोप्रोटीन हो सकते हैं।
एबीओ (ABO)ब्लड ग्रुप सिस्टम के अनुसार ब्लड ग्रुप का वर्गिकरण:-
एबीओ (ABO)ब्लड ग्रुप सिस्टम लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) में विभिन्न प्रकार के एंटिजन और एंटिबॉडी के अनुसार ब्लड ग्रुप को वर्गीकृत करता है।एबीओ (ABO)ब्लड ग्रुप सिस्टम के साथ Rhd (रिसस फैक्टर या आर एच फैक्टर) एंटिजन (अन्य प्रकार के एंटिजन) की स्थिति का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है की कौन सा रक्त प्रकार की रक्त कोशिकाएं, किस प्रकार की रक्त कोशिकाओं से मेल खाएगी ताकि इसे किसी मनुष्य को जरूरत पड़ने में इसका आधान (ट्रांसफ्यूजन) किया जा सकता है।
रिसस फैक्टर (Rhesus Factor)- यह लाल रक्त कोशिकाओं की सतह में पाया जाने वाला एक और अन्य प्रकार का एंटिजन है, जिसे आरएचडी (Rhd) भी कहा जाता है। जब रक्त में Rhd मौजूद हो तो इसे पॉजिटिव कहा जाता है और ना हो तो नेगेटिव टाइप कहा जाता है। एबीओ (ABO)ब्लड ग्रुप सिस्टम के आधार पर ब्लड या रक्त को चार समूहों में वर्गीकृत किया जाता है:-
1.ग्रुप A –
यह A(+)पॉजिटिव और A(-) नेगेटिव प्रकार का होता है। इस प्रकार के समूह में लाल रक्त कोशिकाओं की सतह में A एंटिजन और प्लाज्मा में एंटि- B एंटिबॉडी उपस्थित होता है। एंटि- B एंटिबॉडी ऐसी कोशिकाओं पर हमला करता है, जिनमें B – एंटिजन मौजूद होता है।
2.ग्रुप B –
यह B(+) पॉजिटिव और B(-) नेगेटिव प्रकार का होता है। इस प्रकार के समूह में लाल रक्त कोशिकाओं की सतह में B- एंटिजन होता है और प्लाज्मा में एंटि- A एंटिबॉडी उपस्थित होता है। एंटि- A एंटिबॉडी ऐसी कोशिकाओं पर हमला करेगा जिनमें एंटिजन A मौजूद होता है।
3.ग्रुप AB –
इस प्रकार के समूह में लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर A और B दोनों प्रकार के एंटिजन उपस्थित होते हैं , लेकिन प्लाज्मा एंटि- A और एंटि- B एंटिबॉडी उपस्थित नहीं होते और इसकी वजह से AB समूह वाले व्यक्ति ABO सिस्टम के किसी भी प्रकार रक्त समूह को प्राप्त कर सकते हैं।
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4.ग्रुप O –
यह भी O (+) पॉजिटिव और O (-) नेगेटिव प्रकार का होता है। इस प्रकार के समूह में लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर A या B एंटिजन उपस्थित नहीं होते, लेकिन प्लाज्मा में एंटि- A और एंटि- B दोनों प्रकार के एंटिबॉडी मौजूद होते हैं। क्योंकि इस समूह में रक्त कोशिकाओं में किसी भी प्रकार के एंटिजन मौजूद नहीं है, तो इसकी वजह से ABO सिस्टम के किसी भी प्रकार के रक्त समूह वाले व्यक्ति इस समूह को प्राप्त कर सकते हैं।
ब्लड ग्रुप और स्वास्थ्य का संबंध:-
हमने रक्त के प्रकार को देखा, अब हम रक्त समूहों का स्वास्थ्य से संबंध देखेंगे की कौन से रक्त समूह को किस प्रकार की स्वास्थ्य की दिक्कत, परेशानियाँ और बीमारियों से सामना हो सकता है और उन्हें अपने खान-पान का किस प्रकार ध्यान रखना चाहिए। खान-पान को संतुलित रख किसी भी बीमारी से खुद को दूर रखा जा सकता है।
1.ग्रुप A –
A ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) अत्यंत ही संवेदनशील होती है। कई शोधों के अनुसार इस प्रकार के रक्त समूहों वाले व्यक्तियों को कैंसर का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन O रक्त समूह वालों की अपेक्षा इन्हें अल्सर का खतरा काफी कम होता है। हाल में ही हुए शोधों में यह भी पाया गया है की A रक्त समूह वाले कोरोना की बीमारी से ज्यादा ग्रसित हुए और उनकी मौतें भी ज्यादा हुईं हैं। इस प्रकार के समूह वाले व्यक्तियों में पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा होता है और टाइप 2 मधुमेह से भी ग्रसित हो सकते हैं। कई शोधों के अनुसार A पॉजिटिव समूह वाली महिलाओं को गर्भधारण करना आसान होता है, क्योंकि इनमें का स्तर काफी अच्छा होता है। इन रक्त समूह वाले व्यक्तियों को मीट का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि यह पचने में समय लेता है। इस समूह के व्यक्तियों को अपने आहार में ड्राइफ्रूट्स, फल, बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, सलाद, पनीर और डेयरी उत्पादों का सेवन करना चाहिए। और चावल और अंडों का सेवन ज्यड़ा नहीं करना चाहिए।
2.ग्रुप B-
इस प्रकार के रक्त समूह के व्यक्तियों में हृदय रोग, ब्लड क्लोटिंग (Blood clotting) का खतरा बना होता है। पेप्टिक अल्सर का खतरा कम होता है। इस समूह वाले व्यक्ति भी टाइप 2 प्रकार के मधुमेह से ग्रसित होते हैं और इन्हें भी पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा बहुत ज्यादा बना होता है। इन समूह के लोगों को खान-पान में ज्यादा परहेज करने की जरूरत नहीं है, लेकिन आहार संतुलित रखना चाहिए। बैड कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थों का कम से कम सेवन करना चाहिए। इन्हें अपने आहार में पनीर, दूध, दही, अनाज, मछ्ली, हरी सब्जियाँ और मीट का सेवन करना चाहिए। वैसे तो इनका पाचन अच्छा होता है, लेकिन फिर भी आहार संतुलित ही होना चाहिए ताकि बीमारियों से बचें रहें।
3.ग्रुप AB –
इस प्रकार के रक्त समूहों वाले व्यक्तियों में पैंक्रियाटिक कैंसर की संभावना होती है। इस प्रकार के समूह वाले व्यक्तियों में हृदय रोगों का खतरा होता है, लेकिन कम। इस प्रकार के रक्त समूहों वाले व्यक्तियों को स्टमक कैंसर (Stomach cancer) का खतरा ज्यादा रहता है। इस समूह के व्यक्तियों को एंटिआक्सिडेंट से भरपूर फलों का सेवन करना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन युक्त आहार लेना चाहिए। चाहें तो अंडे के सफेद हिस्से का सेवन कर सकते हैं, लेकिन चिकन, मटन का सेवन बहुत ही कम करना चाहिए। आहार में पनीर, डेयरी उत्पाद, हरी सब्जियों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।
4.ग्रुप O –
इस समूह को यूनिवर्सल डोनर भी कहा जाता है। इस समूह वाले व्यक्तियों में ब्लड क्लोटिंग (Blood clotting)का खतरा कम होता है। इस समूह वाले व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी रोगों का खतरा काफी कम होता है। हाल के शोधों में ही पाया गया है की O रक्त समूह वाले व्यक्ति अन्य रक्त समूहों वाले व्यक्तियों की अपेक्षा कोरोना से कम ग्रसित हुए और अगर ग्रसित हुए भी तो उन्हें हॉस्पिटल में एड्मिट होने की जरूरत नहीं पड़ी। इस समूह के व्यक्तियों को हृदय रोगों का खतरा और गैस्ट्रिक रोगों का खतरा भी कम होता है। इनमें टाइप 2 मधुमेह का खतरा भी काफी कम होता है। शोधों के मुताबिक O पॉजिटिव समूह वाली महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कतों का सामना करना करना पड़ता है, क्योंकि इनमें अंडाणुओं का स्तर कम होता है। इस समूह के व्यक्तियों को चिकन, मछ्ली, हरी पत्तेदार सब्जियों , साबुत अनाज, दालों का सेवन करना चाहिए। इन्हें उच्च प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करना चाहिए ताकि पाचन अच्छा रहे। डेयरी उत्पादों का सेवन एक संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए।
कई शोधों के अनुसार यह बताया गया है की A और B ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों को अन्य रक्त समूह की तुलना में स्वास्थ्य संबंधी रोग ज्यादा होते हैं, लेकिन अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। व्यक्ति का रक्त समूह चाहे जो हो परंतु अपना आहार हमेशा संतुलित रखना चाहिए ताकि बीमारियों से बच सकें। हमारा आहार और संतुलित दिनचर्या ही एक ऐसा माध्यम जिसका निर्वहन करते हुए हम किसी भी बीमारी को खुद से दूर रख सकते हैं। इसीलिए स्वस्थ रहें, मस्त रहें।
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