शुगर या मधुमेह क्या है, प्रकार, लक्षण एवं संतुलन के कुछ उपाय | Sugar ya madhumeh kya hai, prakar,lakshan evam santulan ke kuch upay

Table of Contents

शुगर या मधुमेह क्या है, प्रकार, लक्षण एवं संतुलन के कुछ उपाय | What is sugar or diabetes, types, symptoms, and some measures of balance

आज हम जिस बीमारी के बारे में बात करने वाले हैं वह एक ऐसी बीमारी है जो ना केवल हमारे खाने की मिठास छीन लेती है अपितु हमारे जीवन की भी मिठास छीन लेती है | यह बीमारी हमारे लिए काफी घातक तो है ही साथ ही हमें ह्रदय रोगों के करीब भी लेकर जाती है | भारत में लगभग 76-77 मिलियन लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं और कई बार हमारी गलत जीवनशैली भी इसके लिए जिम्मेदार होती है |

शुगर या मधुमेह क्या है (What is diabetes) –

डायबिटिस,शुगर या मधुमेह एक जीर्ण चयापचय विकार या रोग (Chronic Metabolic Disorder) है, जिसके परिणामस्वरूप ब्लड में शुगर (शर्करा) की मात्रा उच्च स्तर पर पहुँच जाती है। हमारे शरीर में एक होर्मोन का निर्माण होता है जिसे हम इंसुलिन के नाम से जानते हैं जो हमारे ब्लड में शुगर की मात्रा को कम और संतुलित करता है। इंसुलिन का निर्माण हमारे पैंक्रियास की बीटा कोशिकाओं द्वारा किया जाता है।

मधुमेह के प्रकार(Types of diabetes)-

शुगर या मधुमेह को हम चार प्रकार में विभाजित कर सकते हैं-
1. टाईप -1 (Type-1)
2.टाईप -2 (Type-2)
3.प्रीडायबिटिस (Prediabtes)
4.जेसटेशनल (Gestational)

1. टाईप -1 (Type-1) –

यह एक स्वप्रतिरक्षित बीमारी (Autoimmune disorder) है, जिसमें पैंक्रियास की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं जिसके फलस्वरूप इंसुलिन का निर्माण या तो कम मात्रा में होने लगता है या इंसुलिन का निर्माण ही नहीं हो पाता है। इस प्रकार के मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति को अपने ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन का सहारा लेना पड़ता है। टाईप-1 डायबिटिस 30 वर्ष की उम्र के लोगों में सबसे कॉमन है परंतु यह किसी भी उम्र में भी हो सकता है।

2.टाईप -2 (Type-2)-

इस प्रकार के मधुमेह में पैंक्रियास इंसुलिन का निर्माण तो करता है, किन्तु या तो अपर्याप्त मात्रा में या फिर इंसुलिन प्रभावी रूप से कार्य नहीं करता है जिसकी वजह से यह परिस्थिति उत्पन्न होती है। टाईप- 2 मधुमेह में शरीर इंसुलिन की क्रिया के लिए प्रतिरोधी बन जाता है और इसकी वजह से ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। टाईप-2 डायबिटिस 40 की उम्र या उससे अधिक उम्र वाले व्यक्तियों को होता है लेकिन कई बार यह बचपन में भी हो सकता है। टाईप-2 डायबिटिस को जीवनशैली में थोड़ा परिवर्तन लाकर कंट्रोल किया जा सकता है, जैसे संतुलित आहार का सेवन करके, योगा या एक्सरसाइज और वजन को संतुलित करके ।

इसे भी पढ़े  मधुमेह के रोगी कैसे रखें अपने स्वास्थ्य और वजन का ख्याल |How to take care of your health and weight for diabetic patients in hindi

3.प्रीडायबिटिस (Prediabtes) –

यह विकार तब उत्पन्न होता है जब ब्लड में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है लेकिन इतना नहीं होता की टाईप-2 डायबिटिस हो या इसका परीक्षण किया जा सके।

4.जेसटेशनल डायबिटिस (Gestational) –

मधुमेह का यह प्रकार गर्भावस्था के दौरान उच्च शर्करा का स्तर है जो प्लेसेन्टा द्वारा इंसुलिन को अवरुद्ध करने वाले होर्मोन के निर्माण की वजह से होता है। और इस प्रकार में गर्भवती महिलाओं को किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं होता है।

Important Links
Join Our WhatsApp Group Join WhatsApp

इन चारों मधुमेह के प्रकारों में टाईप-2 डायबिटिस हमारे देश सबसे ज्यादा कॉमन है। कुछ ऐसे कारक हैं जो इनके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे असंतुलित जीवनशैली, पारिवारिक इतिहास, उम्र, उच्च रक्तचाप और उच्च कॉलेस्ट्रोल का स्तर इत्यादि ।

Diabetes

मधुमेह के लक्षण (Symptoms of diabetes)-

1. टाईप -1 (Type-1)-

1.अत्यधिक प्यास लगना।
2.थकावट महसूस करना।
3.अत्यधिक भूख लगना।
4.बहुत पसीना आना।
5.धुंधली दृष्टि।
6.दिल की धड़कन का अत्यधिक तेज होना।
7.किसी भी प्रकार का संक्रमण तेजी से होना या फैलना।
8.चिंता या तनाव।
9.नींद ना आना। –
10.वजन का कम होना।
11.बिस्तर गीला करना।
12.अत्यधिक पेशाब आना।

2.टाईप -2 (Type-2)-

1.अत्यधिक प्यास लगना।
2.अत्यधिक भूख लगना।
3.जल्दी-जल्दी पेशाब आना।
4.थकावट महसूस करना।
5.वजन का बढ़ना या घटना।
6.धुंधली दृष्टि।
7. किसी घाव या संक्रमण बहुत धीरे- धीरे भरना या ठीक होना।

3.प्रीडायबिटिस (Prediabtes)-

बहुत से लोगों में प्रीडायबिटिस में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखते हैं।

4.जेसटेशनल डायबिटिस(Gestational)-

इस प्रकार में भी कोई लक्षण नहीं दिखते लेकिन कई लोग कुछ लक्षणों का अनुभव करते हैं जैसे अत्यधिक प्यास, अत्यधिक भूख लगना, थकावट, बार- बार पेशाब लगना और फेटल मक्रोसोमिया (fetal macrosomia)।

मधुमेह को संतुलित करने के कुछ उपाय (Some ways to balance diabetes) –

1.जीवनशैली में बदलाव –

कई बार हमारी बीमारियों का कारण हमारी गलत जीवनशैली और आदतें होती हैं, अगर हम अपनी जीवनशैली को थोड़ा सा परिवर्तित कर लें तो हम बीमारियों से तो बचते ही हैं साथ ही किसी भी रोग को संतुलित अवस्था में ला सकते हैं।

1.निम्न से निम्न मात्रा में संसाधित आहार का पालन करें-

अगर हमें अपने ब्लड में शुगर की मात्रा को संतुलित रखना है तो सबसे पहले हमें अपने आहार में संसाधित भोज्य पदार्थों और पैकेटबंद भोज्य पदार्थों का उपयोग बेहद कम करना होगा। साथ ही हरी सब्जियाँ, फल खासकर जिनमें एंटिआक्सिडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद हो क्योंकि मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति में फ्री रेडिकल्स (Free radicals) ज्यादा मात्रा में बनते हैं जो लिवर के लिए काफी हानिकारक होते हैं, और साथ ही कई अन्य समस्याएँ उत्पन्न करते हैं, अतः इन्हें संतुलित करने के लिए एंटिआक्सिडेंट बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खाने में हाई प्रोटीन डाइट, साबुत अनाज, दालें, ड्राइफ्रूट्स और मछ्ली का सेवन करें। भोजन में हाई-फाइबर, मैग्नीशियम युक्त भोज्य-पदार्थ शामिल करें। पानी का अधिक से अधिक सेवन करें ताकि बॉडी हाइड्रेट रहे। किसी भी प्रकार के प्रसंस्कृत भोजन-सामाग्री को खाने में शामिल न करें एवं उनसे दूर रहें।

एक साथ अधिक मात्रा में खाना खाने से बचें, यह आपके शुगर की मात्रा को बहुत उच्च स्तर पर पहुँचा देता है, इसलिए भूख लगने पर थोड़ा-थोड़ा करके 4 से 5 बार खाएं।

इसे भी पढ़े  बालों ,दिमाग तथा चेहरे के लिए कौन सा तेल बेहतर है जैतून का तेल या नारियल का तेल ?| Which is better for hair, brain and face, olive oil or coconut oil in Hindi?

2.स्वस्थ वसा का सेवन-

हानिकारक संतृप्त वसा ,फैटी एसिड ,ट्रांसफैट और संसाधित वनस्पति तेल से बचें क्योंकि यह शरीर में बैड कॉलेस्ट्रोल को बढ़ाने का काम करती है, जिससे रक्त धमनियों में यह वसा जमने लगता है और हृदय रोगों का कारण बनता है। साथ ही ऐसे तेल एवं भोजन का सेवन करें जिसमें असंतृप्त वसा मौजूद हो यह इंसुलिन के लिया अच्छा तो होता ही है साथ ही टाईप-2 डायबिटिस से बचाता है। आहार में अच्छे गुण वाले तेल जैसे जैतून का तेल, सूरजमुखी का तेल शामिल करें। एवोकैडो और सैल्मन जैसे वसायुक्त मछ्ली का भी सेवन कर सकते हैं।

3.कार्बोहाइड्रेट में कमी करना –

हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में कार्बोहाइड्रेट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन इसका सेवन स्वस्थ व्यक्ति अथवा मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को उतनी ही मात्रा में करना चाहिए जितनी मात्रा में यह शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान कर सके। इसे बंद नहीं करना है किन्तु भोजन में इसकी मात्रा का ध्यान रखना अति आवश्यक है। कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर में ग्लूकोस(Glucose)के रूप में परिवर्तित होता है, और यह हमारी रक्त कोशिकाओं में पहुँचता है, और इंसुलिन होर्मोन के द्वारा इसे नियंत्रित किया जाता है, इसलिए सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करना चाहिए।

4. शारीरक गतिविधियाँ एवं व्यायाम-

चाहें आप किसी बीमारी से पीड़ित हो या ना हों सुबह की शुरुवात योगा,व्यायाम, मॉर्निंग वॉक से ही करें यह आपको बीमारियों से तो मुक्त रखेगा ही साथ ही अगर आप किसी बीमारी से घिरें भी हैं तो यह उससे आपको बाहर निकालने में सहायक सिद्ध होगा। यह हमारे शरीर में हॉर्मोन्स के संतुलन को बनाए रखता है और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर करता है।

5.चिंता और मानसिक तनाव को कहे ना-

अपने जीवन में किसी भी समस्या को इतना हावी ना होने दें खुद पर की आप बीमारियों को खुद बुलावा दे बैठें, इसलिए मधुमेह हो या कोई और भी अन्य बीमारी , कोशिश करें के तनावमुक्त, चिंता मुक्त रहें। अगर आप नियमित रूप से व्यायाम, मॉर्निंग वॉक या योगा करते हैं तो निश्चित ही तनाव और बीमारियों दोनों से ही दूर रहेंगे।

अब तक ऊपर जितनी भी चीजें हमने देखीं उसे हमें नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में लाना होगा, जिससे हम मधुमेह को भी संतुलित रख पायेंगे और साथ ही अन्य बीमारियों से बच पायेंगे। इसके अलावा कुछ ऐसे भी फलों, सब्जियों और क्रूड ड्रग्स की भी चर्चा करेंगे जो मधुमेह को प्रभावी रूप से संतुलित रखने में सहायता करते हैं।

2.फल, सब्जी एवं कुछ क्रूड ड्रग्स-

1. जामुन (Java plum, Syzygium cumini) –

जामुन का फल , इसका रस और जामुन के बीजों का पाउडर तीनों ही प्रभावी रूप से ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है । इसमें फाइबर भी मौजूद होता है जिसकी वजह से यह पाचन-तंत्र को सही रखता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और मधुमेह से उत्पन्न होने वाले अन्य खतरों को कम करता है। जामुन से मौसम में आप इसे नियमित रूप से खा सकते हैं यह इंसुलिन की गतिविधि और संवेदना को बढ़ाता है, जो की शुगर की मात्रा को संतुलित करने में सहायक है। हम जामुन का पाउडर भी उपयोग में ला सकते हैं, यह टाईप- 2 मधुमेह , इंसुलिन-डिपेंडेंट (Insulin-dependent), नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट (Non-insulin- dependent) के लिए सहायक के रूप में लिया जा सकता है।

इसे भी पढ़े  स्वयं -दवा: एक ऐसी गलती जो आपको जीवन भर पछतानी पड़ सकती है | Self-medication: a mistake you may regret for the rest of your life

2.करेला (Bitter gourd) –

यह हमारी रसोई में सब्जी के रूप में उपयोग में लाया जाता है, हम इसे ताजे रूप में या फिर पाउडर के रूप में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने के लिए उपयोग में ला सकते हैं। शोधों के अनुसार करेला इंसुलिन-पॉलीपेपटाइड -पी से भरपूर होता है जो ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।

3.मेथी (Fenugreek) –

यह प्रायः हमारी घर की रसोई में मसालों के रूप में उपयोग किया जाता है। मेथी के दाने और मेथी की भाजी दोनों ही हमारे लिए काफी लाभदायक है। हम मेथी की सुखी पत्तियों को भी उपयोग में लाते हैं, क्योंकि हर मौसम में इसकी भाजी उपलब्ध नहीं होती है। यह एक एरोमैटिक पौधा (Aromatic plant) है जिसकी वजह से इसमें से काफी अच्छी सुगंध आती है। हम इसके बीज को मसाले एवं पाउडर दोनों रूपों में उपयोग में लाते हैं। यह ब्लड में शुगर की मात्रा को संतुलित करता है और इंसुलिन के निर्माण को बढ़ावा देता है जिसकी वजह से यह मधुमेह को कंट्रोल करने के लिए जाना जाता है। हम इसके लगभग 2 बड़े दानों को रात में लगभग एक कप पानी में भीगा के सुबह उसे छान के खाली पेट पानी का सेवन कर सकते हैं, यह हमारे ब्लड में शुगर की मात्रा को प्रभावी रूप से संतुलित करता है।

4.दालचीनी (Cinnamon) –

यह भी हमारी रसोई में मसालों के रूप में उपयोग होता है। दालचीनी हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक है और इसमें मौजूद रासायनिक तत्व मधुमेह को नियंत्रण में रखने में सहायक है। यह इंसुलिन की गतिविधि को उत्प्रेरित करके शुगर की मात्रा को संतुलित करता है। हम दालचीनी का सेवन पाउडर के रूप में गर्म पानी के साथ कर सकते हैं। इसमें भी प्रचुर मात्रा में एंटिआक्सिडेंट पाया जाता है।

5.सिट्रस फ्रूट्स (Citrus fruits) –

जैसा की हमने पहले ही देखा की हमें ऐसे फलों एवं सब्जियों का सेवन करना है, जिसमें भरपूर मात्रा में एंटिआक्सिडेंट मौजूद हो साथ ही विटामिन C का स्तोत्र हो, कुछ फल जैसे नींबू, संतरा, मौसम्बी यह सभी सिट्रस फ्रूट्स हैं जिनमें भरपूर मात्रा में एंटिआक्सिडेंट और विटामिन C होता है। एंटिआक्सिडेंट शरीर में बनने वाले हानिकारक फ्री रेडिकल्स को शरीर से साफ करने का कार्य करता है और विटामिन सी ब्लड में शुगर की मात्रा को कम करने में सहायक हैं।

6.आँवला (Indian gooseberry) –

आँवला में भी एंटिआक्सिडेंट मौजूद होता है साथ ही विटामिन c का स्तोत्र भी है और इसमें क्रोमियम भी पाया जाता है जो कार्बोहाइड्रेट को भी संतुलित रखता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और मधुमेह को भी नियंत्रित करता है। हम इसका रस भी उपयोग में ला सकते हैं।

7.मूनगा (Drum stick) –

इसे हम एक सब्जी के रूप में उपयोग में लाते हैं इसे सहजन भी कहते है।इसमें भी प्रचुर मात्र में एंटिआक्सिडेंट और विटामिन C पाया जाता है, साथ ही इसकी पत्तियों को भाजी के रूप में भी खाया जाता है, यह दोनों ही ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करते हैं। इसमें विटामिन और मिनेरल्स मौजूद होते हैं जो ग्लूकोस की मात्रा को नियंत्रित रखते हैं।

8.स्टीविया (Stevia) की पत्ती –

यह शक्कर का एक प्राकृतिक विकल्प है मतलब यह एक नैचुरल शुगर है। जो मधुमेह से पीड़ित हैं वह इसका उपयोग कर सकते हैं। इसमें भी प्रचुर मात्रा में एंटिआक्सिडेंट मौजूद होता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स जीरो है और साथ ही जीरो कैलोरी होती है और शोधों में यहा पाया गया है की यह ब्लड में शुगर की मात्रा भी नहीं बढ़ाता है और न ही वजन बढ़ाता है। यह हमारे लिए मधुमेह में हमारा वजन और शुगर लेवेल दोनों बढ़ाए बिना हमारे लिए लाभदायक साबित हो सकता है। हम चाहे तो इसकी ताजी पत्तियाँ चाय में उपयोग कर सकते हैं, या फिर इसका रस भी उपयोग में ला सकते हैं।

अन्य पढ़े – 

कुछ महत्वपूर्ण औषधीय पौधे एवं रोगों  के उपचार में उनका उपयोग

एंटीजेन (Antigen) और एंटिबॉडी (Antibody) क्या है, प्रतिरक्षा प्रणाली में इसकी भूमिका, एंटीजेन-एंटिबॉडी रिएक्शन का उपयोग

हर्बल कॉस्मेटिक्स एवं उनमें उपयोग होने वाले कुछ हर्ब्स

बवासीर , प्रकार, कारण, लक्षण एवं उपाय | Hemorrhoids, Types, Causes, Symptoms and Remedies

Leave a Comment

Important Links
Join Our WhatsApp Group Join WhatsApp