Hemorrhoids, Types, Causes, Symptoms and Remedies in Hindi | बवासीर , प्रकार, कारण, लक्षण एवं उपाय

बवासीर , प्रकार, कारण, लक्षण एवं उपाय (Hemorrhoids, Types, Causes, Symptoms and Remedies)

बवासीर (Piles) आज के समय में बहुत ही आम बीमारी हो गयी है, जो हमें काफी तकलीफ देती है, इसे हम Hemorrhoids या अर्श रोग के नाम से भी जानते हैं। भारत में लगभग 10 मिलियन लोग हर वर्ष इस समस्या से ग्रसित होते हैं। इसके चलते हम परेशानी तो महसूस करते ही हैं, साथ ही हम अपनी यह परेशानी किसी से साझा करने में भी कतराते है और शर्म करते हैं, और अगर हमने गलती से किसी से अपनी तकलीफ बता भी दी तो हो सकता है वह व्यक्ति हमारा मजाक बनाएँ। अक्सर कई बार आप लोगों ने भी बोलचाल की भाषा में किसी को इस बीमारी का नाम लेकर किसी को चिढ़ाते हुए सुना ही होगा, जब कभी दोस्तों के बीच मजाक चलता हो तब। पर इस बीमारी के नाम से किसी का मजाक उड़ाने में जितना मजा आता है, उससे कही ज्यादा तकलीफ इस परेशानी से गुजरने वाले इंसान को होती है। इस परेशानी से ग्रस्त व्यक्ति ना ठीक से खा पाता है, ना बैठ पाता है, ना ठीक से सो पाता है। सुबह मलत्याग करने से पहले भी उस व्यक्ति के मन मे डर का भाव बना रहता है, कि कहीं दर्द ना हो, कहीं और कोई समस्या ना हो। दोस्तों यह बीमारी कई बार हमारी गलत जीवनशैली की वजह से हमें होती है, और अगर हम चाहें तो बस अपनी जीवनशैली में थोड़ा बदलाव कर के ही इससे मुक्त हो सकते हैं।

बवासीर क्या है (What is hemorrhoids)-

बवासीर हमारे मलाशय (Rectum) और गुदाद्वार (Anus) में सूजन हो जाने की वजह से होने वाले बीमारी है , जिसमें मलत्याग के समय दर्द , असहजता महसूस होती है और खून आता है। हमारे मलाशय में सारे अपशिष्ट पदार्थ (Waste Material) होते हैं जो खाने के पाचन के बाद बनते हैं और शरीर से बाहर किए जाते हैं, लेकिन जब कभी यह अपशिष्ट पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते तो यह मलाशय के आसपास जमा होने लगते हैं, और जिसकी वजह कब्ज की समस्या होनी शुरू हो जाती है और एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है जो हमारे मलाशय कि दीवारों को धीरे-धीरे सड़ाना शुरू कर देता और घाव बनना शुरू हो जाता है। अब अगर किसी व्यक्ति को मल त्याग करना हो तो अपशिष्ट पदार्थ जमने कि वजह से मलाशय कि दीवारें संकीर्ण हो जाती हैं और उनका क्षेत्रफल (suraface area) कम हो जाता है, जिसकी वजह से मल त्यागने में दर्द होने लगता है, सूजन हो जाती है और खून भी आने लगता है। इसे ही हम बवासीर, पाइल्स या अर्श रोग के नाम से जानते हैं। कई बार यह रोग इतना बढ़ जाता है जिसकी वजह से हमारे गुदाद्वार (Anus) के अंदरूनी हिस्से में अंदर या बाहर की ओर कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, और इन्हीं की वजह से दर्द और खून निकलता, और कई बार कब्ज रहने की वजह से अगर हम मलत्याग के लिए जोर लगाते हैं, तो ये मस्से बाहर की ओर निकाल आते हैं।

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Exeternal Haemorrhoides

बवासीर के प्रकार (Types of hemorrhoids) – बवासीर को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है –

1.बाह्य बवासीर ( Exeternal Haemorrhoides ) – जैसा की नाम से प्रतीत हो रहा बाह्य मतलब बाहर की ओर , अगर मस्से बाहर की ओर हो जाएँ तो।
2. आंतरिक बवासीर ( Internal Haemorrhoides) – आंतरिक मतलब अंदर की ओर, अंदर की ओर मस्सों का बन जाना।

हम मस्सों के आधार पर इनके स्तरों का वर्गिकरण कर सकते हैं-

1.पहला स्तर (1st Degree) – इस प्रकार के स्तर में मस्से बाहर नहीं आते लेकिन मलत्याग के समय खून निकाल सकता है।
2.दूसरा स्तर (2nd Degree) – इस प्रकार के स्तर में मलत्याग के समय मस्से के कुछ हिस्से बाहर आ सकते हैं लेकिन बाद में वह खुद से अंदर चले जाते हैं, दर्द भी ज्यादा महसूस नहीं होता।
3.तीसरा स्तर (3rd Degree) – इस प्रकार के स्तर में दर्द रहता है ,कई बार मलत्याग के समय खून भी निकलता है और कई बार नहीं। मस्से बाहर आ जाते हैं पर अंदर धक्का देने से अंदर भी चले जाते हैं।
4.चौथा स्तर (4th Degree) – इस प्रकार के स्तर में मस्से बाहर आ जाते हैं और उन्हे अंदर नहीं किया जा सकता और यदि उसमें खून का थक्का (Clot) जम जाए तो उनमें बहुत ज्यादा सूजन आ जाती है और बहुत ज्यादा दर्द होता है।

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कई बार अगर मस्से बाहर बने( गुदाद्वार के पास) हैं ,अगर वहाँ खून का थक्का (Clot) जम जाएँ तो वह भी दर्दनाक हो सकते हैं।

बवासीर होने के कारण (Reasons of piles) –

1.मल का कड़ा हो जाना जिसकी वजह से मलत्याग करने के दौरान गुदाद्वार (Anus) में तनाव, कई बार मल के कड़े (Hard stool) हो जाने की वजह से मलत्याग करने पर गुदाद्वार (Anus) की त्वचा का छील जाना ।
2.मोटापा
3.पोषक तत्वों की कमी और कम रेशेयुक्त आहार का सेवन करना।
3. शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा ना होना।
4.शौचालय में लंबे समय तक बैठे रहना ( पेट साफ ना होने की वजह से )
5.नियमित रूप से भारी-भरकम काम या वजन उठाना।
6.गुदा मैथुन करना (Anal intercourse)।
7.पुराने कब्ज या दस्त।
8.गर्भवती होना।
9.लंबे समय तक बैठ के कोई काम करना (जैसे ऑफिस का काम या लैपटाप पर काम)।
10.मल के साथ कई बार म्‍यूकस्‌ का आना।

कई बार अगर कोई व्यक्ति थायरॉइड से ग्रसित है तो उसे भी बवासीर होने के आसार होते हैं, क्योंकि थायरॉइड ,खासकर हाइपोथाइरौइडिस्म (Hypothyroidism) से ग्रसित व्यक्ति में पाचन की क्रिया धीमी हो जाती है , उसका उपापचय (Metabolism) सही से नहीं हो पाता और कब्ज की समस्या होने लगती है। और यह आगे चलकर यह समस्या बवासीर का रूप ले सकती है।

बवासीर के लक्षण (Symptoms of piles)  –

बवासीर होने पर जरूरी नहीं के लक्षण आपको तुरंत दिखाई दें, क्योंकि कोई भी बीमारी अचानक नहीं हो जाती है, थोड़ा समय लेती है –

1.मलत्याग के समय गुदाद्वार के आस-पास या अंदर चुभन महसूस होना।
2.मलत्याग करते समय खून का आना।
3.कब्ज का बने रहना, पेट साफ ना हो पाना।
4.गुदाद्वार के आसपास या अंदर मस्सों का महसूस होना।
5.गुदाद्वार के आसपास दर्द बने रहना, या बीच-बीच में दर्द होना और वहाँ की त्वचा में खुजली होना और असहज महसूस करना।
6. गुदाद्वार से मलत्याग के समय खून गिरने और दर्द होने की वजह से कमजोरी महसूस करना।  अगर बाहरी बवासीर है तो मलत्याग के बाद दर्द और बेचैनी महसूस करना।

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बवासीर के उपाय (Hemorrhoids Remedies) –

दोस्तों जैसे की मैंने पहले ही आप लोगों से कहा की कई बार हम अपनी खराब जीवनशैली, अनियमित दिनचर्या और गलत खान-पान की वजह से कई बीमारियों से ग्रसित होते हैं। अगर हमारा खान-पान, हमारी दैनिक दिनचर्या नियमित हो और संयमित हो तो हम कई बीमारियों से खुद को दूर रख सकते हैं। मैं आप लोगों को surgical treatment (सर्जरी) की सलाह बिलकुल नहीं दूँगी, क्योंकि हो सकता है की आप एक बार surgery करा के इसे ठीक कर लें, पर यह फिर दोबारा भी हो सकता है, क्यों, क्योंकि हम इस बीमारी की जड़ (root) से खत्म करने पर ध्यान नहीं देते , केवल उसकी शाखाएँ (Branches) काटने पर ध्यान देते हैं, जिससे यह बीमारी दोबारा पनप आती है, इसलिए जड़ (root) पर ध्यान दीजिये , तो समस्या अपने आप ही खत्म हो जाएगी, और इसकी शुरुवात करिए-

1.स्वस्थ जीवनशैली (Healthy lifestyle) –

दोस्तों हमारी दिनचर्या का हमारे शरीर पर काफी असर पड़ता है, इसलिए हमारी जीवनशैली हमारे शरीर के हिसाब से होना चाहिए ना की हमारे हिसाब से , मतलब अगर जब आपको भूख लगी है तभी खाना खाइये, जब नींद आ रही तब सोइए, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सुपाच्य भोजन का सेवन कीजिये, रात में देर तक न जागे और सुबह जल्दी उठें । कई बार हम अपने घर के कामों में, या ऑफिस के काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं की हम अपने शरीर के लिए बिलकुल समय नहीं दे पाते और कई बार हम अपने शरीर में होने वाले परिवर्तन या बदलाव को को भी समझ नहीं पाते या नजरंदाज कर जाते हैं, जब कोई समस्या बढ़ जाती है तब हमारा ध्यान उस पर जाता है, इसलिए काम के साथ- साथ अपने शरीर के लिए भी समय निकालिए, ताकि आप स्वस्थ और ऊर्जा से परिपूर्ण रहें।

2.संतुलित आहार (Balanced diet) –

हमारा आहार ऐसा होना चाहिए जो आसानी से पचाया जा सके, क्योंकी भोजन अगर अच्छे से नहीं पचेगा तो हमें कब्ज की समस्या हो सकती है, और कब्ज की वजह से मलत्याग करने पर गुदाद्वार (Anus) में तनाव उत्पन्न हो जाएगा। क्योंकि कब्ज की वजह से अत्यधिक एसिड का निर्माण होने लगता हैं और उससे भी से भी यह समस्या हो सकती है। हरी-सब्जियों, रेशेदार भोजन का सेवन करें। ऐसे फल खाने में लें जो क्षारीय तासीर के हों यह आपके शरीर में अत्यधिक एसिड को संतुलित करेगा। अगर आपको कब्ज की समस्या है तो सुबह-शाम खाना खाने के बाद पपीते का सेवन करें यह आपके लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होगा, साथ ही अलसी का सेवन करे चाहें खाने के साथ या अलग से पाउडर पानी के साथ लें। पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें। खान-पान में बदलाव हमारे मल को नरम और नियमित रखने में सहायता करता है, क्योंकी इस बीमारी में खान-पान का ही महत्वपूर्ण योगदान है, इसलिए संयमित एवं संतुलित भोजन लें, तला-भुना एवं मिर्च- मसाले से बचें। सुबह बिस्तर से उठते ही कुनकुना पानी पिए, हो सके तो रात में तांबे के किसी बर्तन में पानी भर के रख लें और सुबह उसका सेवन करें, ये आपके लिए काफी फायदेमंद रहेगा। खाने के तुरंत बाद बैठ के काम ना करें, ना तुरंत सोएँ। थोड़ा टहल लें । आहार संतुलित होगा तो आप बीमारी से दूर रहेंगे।

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3.नियमित व्यायाम (Regular excercise ) –

सही समय पर खाने और संतुलित आहार के साथ- साथ नियमित शारीरिक गतिविधियाँ (Physical activity) भी जरूरी हैं, जैसे आप चाहें तो सुबह-शाम मॉर्निंग वॉक पर जाएँ, या सुबह कम से कम 30 मिनट व्यायम, योगा करे। दोस्तों शारीरिक गतिविधियाँ (Physical activity) हमारे लिए बहुत जरूरी है ये हमें रोगों से लड़ने और दूर रखने में सहायता करती हैं। इसलिए अपने शरीर में जंग ना लगने दें, और कम से कम आधे घंटे का समय जरूर निकालें।

4.शरीर का वजन (Body weight) –

मोटापा कई बार ज्यादा खाने और शारीरिक गतिविधियाँ (Physical activity) ना करने से होता है, लेकिन कई बार हम कई बीमारियों के चलते भी मोटापे के शिकार हो जाते हैं। लेकिन अगर हम संतुलित भोजन लें, समय पर खाना और सोना करें, और नियमित योगा, व्यायाम करें तो दोनों ही अवस्था में हम में मोटापे को दूर भगा सकते हैं। क्योंकि मोटापा हमारे लिए कई बीमारियों के दरवाजे खोल देता है, इसलिए बिना तनाव लिए अगर आप एक संतुलित जीवन जीते हैं तो आप मोटापे से भी मुक्त हो सकते हैं।

5. रेचक (Laxative) –

अगर आप कब्ज से परेशान हैं और आपको बवासीर के लक्षण दिखा रहें तो उपर दी हुई सारी चीजें करें साथ ही आप किसी प्रकार के रेचक (Laxative)का सेवन करें। जैसे खाने के बाद सोने से पहले भूसी (Isabgol, Psyllium ) को कुनकुने दूध के साथ लें या फिर सनई की पत्ती (Senna leaves) का पाउडर कुनकुने पानी के साथ लें। अगर आपको कब्ज की समस्या काफी समय से हैं तो सबसे अच्छा है की आप रात में खाने के बाद त्रिफला चूर्ण का सेवन करें, चाहे दूध या कुनकुने पानी के साथ लेकिन आपको त्रिफला (हरड़- 1 अनुपात, बहेरा- 2 अनुपात, आँवला- 3 अनुपात ) सही मात्रा में लेना है मतलब हरड़, बहेरा और आँवला तीनों की मात्रा बराबर ना हो , ये असरकारक नहीं होगा, इसलिए इसे सही अनुपात में ही लें।

6.अन्य उपाय –

अगर आपके गुदाद्वार (Anus) में सूजन के साथ-साथ बहुत दर्द महसूस हो रहा हो तो आप हल्के गरम पानी में Betadine solution को थोड़ा सा मिलाकर इससे उस जगह आप सेकाई करें, इससे आपको आराम मिलेगा और यह Antiseptic होता है जो की किसी प्रकार के infection से भी बचाता हैं। उस जगह को सूखा और साफ रखें । इसके अलावा आप बर्फ का भी इस्तेमाल भी कर सकते हैं, किसी साफ कपड़े में बर्फ को लपेट कर उस जगह पर हल्की-हल्की सेकाई करिए पर ज्यादा देर नहीं जब आपको थोड़ा आराम लगने लगे और लगे की आपको बर्फ से अब चुभन हो रही तो तुरंत सेकाई करना बंद कर दें और अच्छे से साफ कर लें ताकि वो जगह गीली न रहे।

अगर आप संतुलित आहार, नियमित दिनचर्या का पालन करते हैं और नियमित रूप से व्यायाम या योगा करते हैं तो आप इस बीमारी से बच सकते हैं, साथ ही आप दूसरी बीमारियों से भी दूर रहेंगे, क्योंकि दोस्तों कई बार हम अपनी गलत आदतों की वजह और गलत दिनचर्या की वजह से ही बीमारी को बुलावा देते हैं। इसलिए संयमित रहें, संतुलित दिनचर्या रखें और बीमारियों से दूर रहें।

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