हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया क्या है, इसके प्रकार, इनसे होने वाली एलर्जि, लक्षण और उपचार|What is hypersensitivity reaction, its types, allergies caused by them, symptoms and treatment

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हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया क्या है, इसके प्रकार, इनसे होने वाली एलर्जि, लक्षण और उपचार  (What is hypersensitivity reaction, its types, allergies caused by them, symptoms and treatment)

अक्सर हम सभी किसी ना किसी समस्या से झुझते हैं, चाहे फिर वह त्वचा की समस्या हो, बाल की समस्या हो या फिर छिकने या खाँसने की , हर समस्या के पीछे कोई ना कोई वजह रहती है, कई बार इसकी वजह हमारे आसपास कोई पौधे, किसी तरह का खान-पान से या किसी तरह की सुगंध , घास में काम करने या जानवरों के संपर्क में भी आने की वजह से हो सकती है। आज हम बात करेंगे हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया के बारे की यह क्या, इसके क्या प्रभाव होते हैं, कौन-कौन सी एलर्जी इनसे हो सकती है और क्या इनका उपचार संभव है।

हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया (hypersensitivity reaction) क्या है-

हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया हमारे शरीर में होने वाली एक ऐसी अभिक्रिया जिसमें हमारे शरीर में मौजूद हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) हमें बाहरी कणों, या एलर्जेन (Allergen) जैसे परागकण के दाने (Pollen grains) या कोई भी पदार्थ जो हमारे लिए एंटिजन या एलर्जेन(Antigen or allergen) के रूप में काम करता है और इसका प्रहार (Attack) हम पर होते ही हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है और हमारे बचाव के लिए हमारे शरीर में एंटिबॉडी (Antibody) का निर्माण करने लगती है, और यह हमारे बचाव के लिए होती है, इसे ही हम हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया (hypersensitivity reaction) के नाम से जानते हैं। एंटिजन (Antigen) कोई भी वह तत्व होता है जिसे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली या हमारा शरीर नहीं पहचानता और उसे दुश्मन समझ कर उससे बचाव के लिए एंटिबॉडी (Antibody) का निर्माण शुरू कर देता है।

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एंटिजन (Antigen)अंदरूनी और बाहरी दोनों प्रकार के होते हैं जो हमें प्रभावित कर सकते हैं।

हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया के प्रकार (Types of hypersensitivity reaction)-

हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया के मुख्यतः चार प्रकार होते हैं, लेकिन एक पांचवा प्रकार भी होता है-

हमारे शरीर में मुख्यतः पाँच प्रकार की एंटिबॉडीस (Antibodies) मौजूद होते हैं जो विभिन्न प्रकार के एंटिजन (Antigen) के अभिक्रिया की स्वरूप बनते हैं, जैसे एंटिबॉडी आईजीजी (IgG), आईजीएम (IgM), आईजीए (IgA), आईजीडी (IgD) और आईजीई (IgE) , यह सभी एंटिबॉडीस विभिन्न परिस्थितियों में बनते हैं, इसलिए हम हाइपरसेन्स्टिविटी अभिक्रिया को बाँट सकते हैं-

1.टाइप 1 (Type -1) –

इसे हम आईजीई (IgE)मेडिएटेड इमीजिएट रिएक्शन (IgE mediated immidiate reaction) के नाम से जानते हैं, क्योंकि यह एंटिबॉडी किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के एलेर्जेन या एंटिजन (Allergen or antibody)के संपर्क में आने से पहले उसके लिए अतिसंवेदनशील और संपर्क में आते ही तुरंत उस कारक जो की एलर्जि (Allergy)उत्पन्न करने वाला है उसके लिए तुरंत अपनी यह एंटिबॉडी अपनी प्रतिक्रिया देती है। इसके कुछ उदाहरण हैं जिसे हम आईजीई (IgE)मेडिएटेड इमीजिएट रिएक्शन (IgE mediated immidiate reaction)बोल सकते हैं, जैसे हेय फीवर (Hay fever- मौसमी एलर्जि), एक्जिमा (Eczima), अस्थमा (Asthma) या फिर किसी प्रकार के खाद्य पदार्थ (Food) से एलर्जि टाइप 1 (Type -1)प्रकार में आते हैं। कई बार मधुमक्खी के छत्ते से भी एलर्जि हो सकती है।

2.टाइप 2 (Type-2) –

इसे हम एंटीबॉडी मेडिएटेड अभिक्रिया (Antibody mediated reaction(IgG या IgM mediated reaction)भी कहते हैं। इस अभिक्रिया में आईजीजी (IgG) और आईजीएम (IgM) दोनों प्रकार की एंटिबॉडी कोशिकाओं की सतहों पर रेसेप्टर (Receptor- विशेष प्रकार के प्रोटीन समूह) की सहायता से एंटिजन से जुड़ते है, और क्रमानुसार कोशिकाओं की मृत्यु को उत्पन्न करते हैं, मतलब या अभिक्रिया कोशिका की मृत्यु (Cell death) को उत्पन्न करता है। इसमें हम नवजात शिशु के रक्त संबंधी रोगों को , या रक्त आधान संबंधी (blood transfusion) समस्याओं का उदाहरण है।

3.टाइप 3 (Type-3) –

इसे इम्यून कॉम्प्लेक्स इमीजिएट रिएक्शन (Immune complex-mediated reaction)भी कहते है। एजी-एबी मतलब एंटीजन और एंटिबॉडी का मिश्रण जो की कोशिकाओं और ऊतकों में बनने या जमने लगता है जिसकी वजह से यह इम्यून कॉम्प्लेक्स इमीजिएट रिएक्शन (Immune complex-mediated reaction) की स्थिति उत्पन्न होती है, और जब इस कॉम्प्लेक्स या मिश्रण को कोशिकाएं या ऊतक बाहर करने की कोशिश करती हैं तो कोशिकाएं और ऊतक क्षतिग्रस्त अवस्था में आने लगते है और इसकी वजह से यह दोनों ही मृत अवस्था में पहुँच सकते हैं। और यह अभिक्रिया एंटिइंफ्लामेटरी प्रतिक्रिया को भी उत्पन्न करती है जो की न्यूट्रोफिल के संपर्क में आने के साथ ही यह सुनिश्चित करते हैं की किसी भी एलर्जेन (Allergen या antigen) के प्रति प्रतिकिया देनी है। इसके कुछ उदाहरण है जैसे- आर्थेराइटिस (Arthiritis),किसी प्रकार के टीके के लगने के बाद होने वाला बुखार या कोई अन्य लक्षण, किडनी की समस्या जैसे ग्लोमेरूनेफ्राईटीस (Glomerulonephritis ), सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथ्रोसाइट्स (systemic lupus erythematosus- जो की एक ऑटोइम्यून बीमारी है ) यह सभी टाइप -3 के उदाहरण हैं।

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4. टाइप-4 (Type-4) –

इस प्रकार को हम सेल मेडीएटेड हाइपरसेन्स्टिविटी (Cell mediated hypersenstivity) भी कहते हैं। इस प्रकार की अभिक्रिया हमारे शरीर में मौजूद टी-सेल (T- cell)नामक कोशिकाओं से नियंत्रित की जाती है। और यह एंटिजन या एलर्जन के प्रति या कोशिकाओं से जुड़े एंटीजन के प्रति देर से प्रतिक्रिया देते हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं जैसे टीबी की समस्या या फिर पुराना अस्थमा का रोग, या फिर किसी अंग के प्रत्यारोपन में शरीर द्वारा उसे अस्वीकार कर देना, इस प्रकार के हाइपरसेन्स्टिविटी के उदाहरण हैं।

5. टाइप 5 (Type -5) –

इसे हम स्टीमुलेटरी हाइपरसेन्स्टिविटी (Stimulatory hypersesntivity) के नाम से जानते हैं, इस प्रकार की अभिक्रिया में विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं को उत्तेजित करने के साथ -साथ एंटिबॉडीस का निर्माण भी किया जाता है। इसमें हम उदाहरण के तौर पर ग्रेव्स बीमारी (Graves disease)जो की एंटिबॉडी की वजह से होने वाली बीमारी है, जो की थाइरोइएड (Thyroid)उत्पन्न करने वाले हॉरमोन (Hormone) के रिसेप्टर (Receptor) को उत्तेजित करते हैं, जिसकी वजह से थाइरोइएड ग्रंथि (Thyroid gland)अतिसक्रिय हो जाता है और हॉरमोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है।

यह सभी ऐसी अभिक्रियायेँ हैं जो की हमारे शरीर में किसी भी प्रकार के एंटीजन या एलर्जि उत्पन्न करने या हमें बीमार करने वाले कारकों के प्रति लड़ने या हमें बचाने के समय उतपन्न होती हैं। इस प्रकार की एलर्जि से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय योग, खान-पान को संतुलित रखना और एंटिऑक्सीडेंट से भरपूर फलों का सेवन करना बेहतर है।कुछ आम प्रकार के एलर्जन (Allergen)या इसके कारण हो सकते हैं –

1.डेयरी प्रोडक्टस (Dairy products)-

कई बार व्यक्ति को दूध या दही या पनीर जैसे खाद्य पदार्थ से भी एलर्जि होती है।

2.पालतू पशुओं के बाल से ( From pet hair)-

कई लोगों को कुत्तों या अन्य प्रकार के पालतू पशुओं के बालों से भी एलर्जि होती है।

3.घास-फूस या पौधों से (From weeds or plants)-

कई बार खेतों में खरपतवार या पौधों की कटाई छँटाई से भी लोगों को एलर्जि होती है, उन्हें त्वचा पर लाल छिकते या दाने उभर आते हैं। कई बार इनमें चुनचुनाहट और खुजली भी होती है।

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4. खाने से (From food)-

कई बार सोयाबीन,मूँगफली , पीनट बटर, अंडे, मछ्ली या ग्लूटेन (Gluten)के सेवन से भी एलर्जि हो जाती है।

5.फफूँद या कीड़ों से (From fungus or insects)-

कई बार बारिश के मौसम में आदर्ता (Humidity) की वजह से कपड़ों, गद्दों या आसपास जहाँ सीपेज (रिसाव) की समस्या हो वहाँ फंगस होने लगता जिससे लोगों को छींक आना शुरू हो जाता है, सर भारी होने लगता है। कई बार कीड़े भी हमारे लिए एंटिजन का काम करते हैं इनके शरीर में मौजूद टॉक्सिन (Toxin) भी एलर्जि फैलते हैं जो कई बार व्यक्ति के लिए काफी घटक भी हो सकता है, शरीर में लाल चकते (Rashes) हो जाते हैं जो बाद में पानी से भरे फफोलों में भी बादल जाता हिय और यह निशान या दाग भी चोर सकता है। और यह प्रायः बारिश में ज्यादा देखने को मिलता है।

6.फसलों की कटाई और धूल (Harvesting and dusting of crops)-

कई बार खेतों में फसलों की कटाई के समय उड़ने वाले कणों से भी एलर्जि होती है, कई बार लोगों को घर में लगे जालों से और उड़ने वाली धूल से भी एलर्जि होती है।

7.अन्य पदार्थ (other substances) –

कई बार कई रासयानिक पदार्थ जैसे कीटनाशक या किसी प्रकार के रंग, गुलाल या घरों की दीवारों में की जाने वाली पेंट से भी एलर्जि हो जाती है और कई बार यह काफी घातक भी हो सकता है। इसके अलावा कई लोगों को दवाइयों से भी एलर्जि हो जाती है जो कई बार व्यक्ति के जान पर भी बन आती है।

एलर्जि के लक्षण ( Allergy symptoms)-

एलर्जि के कुछ लक्षण होते हैं जैसे नाक बहना, गले में खराश होना, शरीर पर चिकते निकल आना, आँखों से आँसू आना और खुजली होना इसके अलावा इसकी वजह से कई और समस्याएँ जैसे अस्थमा, सर्दी, बुखार और रक्तचाप का बढ़ना भी हो सकता है। नाक बहने की वजह से गले में खराश हो जाती है जो कई बार काफी खतरनाक हो जाता है।

उपचार (Treatment) –

हमारे शरीर में हिस्टामिन (Hisatmine)जो की मास्ट कोशिकाओं (Mast cells) में बनने वाले ऐसे रासायनिक पदार्थ हैं, जो हमें एलर्जि से प्रभावित करते हैं तो इनके उपचार में हम एंटिहिस्टामिन्स (Antihistamines) क्लास (Class) की दवाइयों का प्रयोग करते हैं जो की हिस्टामिन-1 , 2 ,3 या 4 क्लास (Histamine-1जिसे हम H-1 भी कहते हैं वैसे ही H-2, H-3, H-4) से आते हैं जैसे- सेटरिजिन (Cetrizine), लिवोसेटरिजिन (Levocetrizine), हाइड्रोक्सिजिन (Hydroxizine), फेक्सोफेनाडीन (Fexofenadine) जैसे कुछ आम प्रकार की दवाइयाँ है जो एलर्जि में ली जाती हैं, इसके अलावा किसी प्रकार के फंगस से होने वाली एलर्जि के लिए एंटिफंगल दवाइयों (Antifungal drugs) का उपयोग किया जाता है।

एलर्जि की समस्या कई बार पहले नहीं होती है लेकिन कई बार उम्र के साथ या हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने की वजह से यह समस्या उत्पन्न हो सकती है इसलिए एलर्जि हो या कोई बीमारी, इसने बचने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बना के रखें।

 

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