पीपल के उपयोग- धार्मिक एवं शारीरिक दृष्टिकोण से| Pipal ke upyog-dharmik evam sharirik drishtikon

पीपल के उपयोग- धार्मिक एवं शारीरिक दृष्टिकोण से|Uses of Pipal (ficus religiosa) – From religious and physical point of view

पीपल के वृक्ष (Tree) को कौन नहीं जानता। इसे हम बोधि वृक्ष (Bodhi tree) के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि यही वह पेड़ है जिसके नीचे बिहार प्रांत के गया नामक स्थान पर गौतम बुद्ध ने घोर तपस्या करके आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। बस इसी वजह से पीपल के वृक्ष को बोधिवृक्ष कहा गया है। पीपल हमारे लिए प्राण देने वाला वृक्ष भी है क्योंकि पीपल ही एक मात्रा ऐसा वृक्ष है जो हमें सबसे ज्यादा मात्रा में प्राणवायु मतलब ऑक्सीजन (Oxygen)प्रदान करता है मतलब यह ही एक केवल एक ऐसा पेड़ है जो दिन और रात दोनों समय ऑक्सीजन छोड़ता है मतलब 24 घंटे, साथ ही इसका विशाल वृक्ष, कई जीवों जैसे चिड़ियों (Birds) के लिए आसरा होता है, तपती हुई धूप में सभी जीवों को सुकून, ठंडी हवा और राहत पहुँचाता है। यह एक ऐसा पौधा है जो आपको आसानी से काही भी उगा हुआ दिखाई दे जाएगा, चाहे वह दीवारों की दरारें हों, या पानी का पाइप या नाली के आसपास जो हमें हर परिस्थियों में आगे बढ़ना और उगना सिखाता है।  क्या हैं इसके धार्मिक दृष्टिकोण और हमारे शरीर के लिए उपयोग , आज इस पर हम चर्चा करेंगे।

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धार्मिक दृष्टिकोण (Religious outlook) –

जैसे की आप सभी जानते हैं की हिन्दू धर्म में कई पौधों का बड़ा महत्व है, जैसे तुलसी, बरगद या वट वृक्ष, आँवला या फिर पीपल सबके अपने महत्व हैं और इन सबकी पूजा घरों में की जाती है। जैसे की मैंने पहले ही बताया की पीपल के वृक्ष को बोधिवृक्ष भी बोला जाता है, और यह नाम गौतम बुद्ध की वजह से पड़ा। ऐसा माना जाता है की गौतम बुद्ध विष्णु भगवान के अंश थे। और यह भी मान्यता है की पीपल के पेड़ में विष्णु भगवान का वास होता है इसलिए पीपल का पूजन विष्णु भगवान को और साथ ही माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा एक तथ्य यह भी है की पीपल के वृक्ष के नीचे ही भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता का ज्ञान दिया था इसलिए भी पीपल का पेड़ पूजनीय है।

शारीरिक दृष्टिकोण Physical point of view)-

पीपल का पेड़ हमें ऑक्सीजन प्रदान करता है वह भी 24 घंटे, यह हमारे लिए बहुत ही अमूल्य चीज है जिसे हमें समझना होगा, पीपल के पेड़ हमें अवश्य लगाने चाहिए। वैसे तो यह हमें प्राणवायु प्रदान कर ही रहा है ,इसके अलावा यह हमारे शरीर के बहुत से रोगों में उपयोगी है।

1.मधुमेह (Diabetes) –

शोधों के अनुसार पीपल के पत्ते का रस (Extract)मधुमेह के विपरीत अपना प्रभाव दिखाता है। ऐसा पाया गया की यह एलोपैथी दवाइयों की तरह की अपना प्रभाव मधुमेह में दिखाता है। ऐसा अपया गया है की यह रक्त में मौजूद शुगर के लेवल को संतुलित (Control) करता है और इन्स्लुलीन की मात्रा बढ़ाने में भी सहायक है। पीपल में टैनिन (Tannin), अलकलोइड्स (Alkaloids), ग्लाइकोसाइड्स (Glycosides), फ्लावोनोइड्स (Flavonoids) और विटामिन K जैसे तत्व मौजूद होते हैं जो बीमारियों के उपचार में सहायक होते है। पीपल की छाल भी मधुमेह को संतुलित करने में सहायक है।

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2.कब्ज (Constipation)-

शोधों के अनुसार पीपल की पत्तियों के रस का सेवन कब्ज जैसी समस्या में भी काफी लाभकारी है। पीपल के बीज (seed) का पाउडर भी कब्ज को दूर करने में सहायक है, क्योंकि यह लेक्सेटिव और परगेटिव (Laxative and purgative- पेट साफ करने में उपयोगी) की तरह काम करता है।

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3.दमा (Asthma)-

पीपल की पत्तियों का रस शहद के साथ मिलकर इसका सेवन करने से कफ, दमा, दस्त दांतों के दर्द, माइग्रेन, गैस की समस्या (Sad gas) और पेशाब में खून आने में राहत प्रदान करता है। पीपल के बीज का सेवन में दमा को दूर करने में सहायक होता है।

4.जोड़ों के दर्द (Joint pain) –

जोड़ों के दर्द, डायरिया (diarrhoea), ल्योकोरिया ( leucorrhoea), शरीर में किसी प्रकार की सूजन में, बवासीर जैसी समस्या में गुदाद्वार में होने वाली सूजन में, योनि से संबन्धित बीमारियों में और थकावट में पीपल के छाल का पाउडर बहुत ही उपयोगी होता है । क्योंकि पीपल की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है इसलिए इसकी छाल को जली त्वचा में भी लगाने से राहत मिलती है।

5.पीलिया (Jaundice)-

पीपल की पत्तियाँ बहुत सी बीमारियों में लाभदायक है। शोधों के अनुसार पीपल की पत्तियों के रस का सेवन पीलिया जैसे रोग में इसके लक्षणों को दूर करता है।

6.घाव ठीक करने में (To heal wounds)-

कई शोधों के अनुसार इससे निकलने वाला दूध (Latex) घाव को ठीक करने और कुछ हद तक रक्त को बहने (Bleeding) में भी सहायक है। इसके अलावा पीपल की छाल का पाउडर त्वचा के रोगों जैसे एक्जिमा (Eczema),खुजली और रक्त (Blood) को साफ करने में भी सहायक है।

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7.हृदय रोग (Heart Disease) –

पीपल का पेड़ हृदय संबन्धित कई रोगों में भी सहायक है। क्योंकि हमने पहले ही देखा की पीपल में कई प्रकार के रासायनिक तत्व (Chemical constituents) मौजूद होते हैं जो की एंटिओक्सीडेंट्स (Antioxidants) हैं, यह हमारे शरीर में बनने वाले फ्री रैडिकल्स (Free radicals)के हानिकारक प्रभाव से हृदय की कोशिकाओं (Heart cells) को सुरक्षित रखता है, कोशिकाओं में अवरोध (Blockage) को रोकता है और रोगों से बचाता है। शोधों के अनुसार यह धमनियों में वसा (Fat) को जमने से भी रोकता है और कॉलेस्ट्रोल (Cholesterol) की मात्रा को संतुलित रखने में सहायक है।

8.नाक से खून आना (Nose Bleeding)-

पीपल की पत्तियों के रस की कुछ बुँदे नाक से बहने वाले रक्त को रोकने में सहयाक है, क्योंकि पीपल के पेड़ में एंटिइंफलामेटरी (Inflammatory) गुण मौजूद होता है जो सूजन को भी कम करने में सहायक है।

पीपल का वृक्ष जितना हिन्दू धर्म में पूजनीय है उतना ही यह दवाइयों के रूप में रोगों से भी हमें मुक्त रखता है। यह हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करता है। पीपल के बीज में एंटिफंगल और एंटिबैक्टीरियल (Antifungal and antibacterial) गुण भी मौजूद रहते हैं। इसलिए हमें अपने आसपास ऐसे वृक्षों को जरूर लगाना चाहिए, जो वातावरण को भी शुद्ध रखते हो, जैव तंत्र को संतुलित रखने में सहायक हो और दवाइयों के निर्माण में भी उपयोगी हों। हमने अगर एक पेड़ को लगाकर भी उसकी अच्छे से देखभाल की और वह बड़ा हो गया तो उससे बड़ी हमारे लिए कोई उपलब्धि नहीं हो सकती है।

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