हमेशा थका होना – क्या स्लीप एपनिया के लक्षण हैं | Symptoms and treatment of sleep apnea in hindi

हमेशा थका होना – क्या स्लीप एपनिया के लक्षण हैं

स्लीप एपनिया (Sleep apnea )-

यह एक ऐसी गंभीर निद्रा रोग है जो सोते समय शुरू होती है इसमें सांस कभी रुक जाती है कभी फिर शुरू हो जाती है। यही सिलसिला चलता रहता है, जिसे हम स्लीप एपनिया कहते हैं। अगर इस बीमारी का सही समय पर पता ना लगाया जा सके या पता होने पर सही समय पर इसका इलाज ना करवाया जाए यह तेज खर्राटों, थकान, उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय रोगों को जन्म दे सकती है। यह हमारे द्वारा लिए जाने वाले सामान्य खर्राटों से बिल्कुल अलग है , सामान्य खर्राटे हमारे सोने की स्थिति, नाक या गले की स्थिति, मोटापे, तनाव या शराब का सेवन करने की वजह से हो सकते हैं लेकिन स्लीप एपनिया के साथ खर्राटों का आना तब होता है जब हमारे गले में उपस्थित ऊतकों में किसी प्रकार की दिक्कत या कंपन शुरू हो जाता है तब यह स्थिति उत्पन्न होती है।

स्लीप एपनिया के प्रकार –

यह प्रायः तीन प्रकार के होते हैं-

1.सेंट्रल स्लीप एपनिया (Central sleep apnea) –

जैसा की नाम से ही पता चल रहा के यह प्रकार हमारे मस्तिष्क से सबंधित है। इस प्रकार में हमारे श्वसन मार्ग तो अवरोध उत्पन्न नहीं होता लेकिन हमारा जो मस्तिष्क है, वह हमारे श्वसन नियंत्रण केंद्र में समस्याओं के चलते हमारे श्वसन तंत्र की माँसपेशियों को सांस लेने के लिए आदेश देने में विफल रहता है। यह हमारे केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) से नियंत्रित होती है। इस प्रकार का विकार प्रायः उन्हीं व्यक्तियों में देखा जाता है जो पहले से ही किसी स्नायु पेशी रोग (न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर) जैसे दिल की विफलता या दिल, गुर्दे या फेफड़ों की बीमारी या एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारी से ग्रसित हो।

इसे भी पढ़े  वैक्सीन्स मनुष्य के शरीर में कैसे काम करती हैं |How do vaccines work in the human body

2. ओब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive sleep apnea) –

यह सबसे आम प्रकार का स्लीप एपनिया है। इस प्रकार का विकार तब उत्पन्न होता है जब सोने के समय हमारा श्वसन मार्ग बार-बार आंशिक या पूरी तरहसे अवरुद्ध हो जाता हैं। यह प्रायः गले के पिछले हिस्से में उपस्थित ऊतकों के गिरने की वजह से होता है। और इस अवस्था के दौरान हमारे डायफ्राम और छाती की माँसपेशियों को हमारे श्वसन मार्ग को खोलने के लिए सामान्य से अत्यधिक मेहनत और बल की आवश्यकता पड़ती है। और इसकी वजह से हम हाफने के साथ – साथ ज़ोर से सांस लेना शुरू कर देते हैं। और इस अवस्था में हम अपने शरीर को झटका भी देने लगते हैं, जो हमारी नींद को प्रभावित करता है। साथ ही यह विकार अवरोध उत्पन्न करने के कारण हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन के प्रवाह को भी कम कर देता है जिसकी वजह से कोशिकाओं को तो नुकसान पहुँचता ही है साथ ही हृदय रोग भी उत्पन्न हो जाते हैं।

3. कॉम्प्लेक्स स्लीप एपनिया ( Complex sleep apnea)-

यह अचानक से उत्पन्न होने वाले विकार का प्रकार है। इस प्रकार को कॉम्प्लेक्स इसलिए बोला गया है क्योंकि इसमें हम ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और सेंट्रल स्लीप एपनिया दोनों से ग्रसित होते हैं।

Important Links

Join Our Whatsapp Group Join Whatsapp

स्लीप एपनिया के लक्षण –

सामान्यतः हम ओब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive sleep apnea) के लक्षणों को पहचानने में असमर्थ होते हैं, लेकिन अगर हम खुद इस पर ध्यान दें या हमारे परिवार का कोई सदस्य इस पर गौर करे तो अवश्य इसके लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है।
1.रात में सोने के बाद भी दिनभर थकान लगना।
2.दिनभर नींद आना।
3.रात में सोते वक्त घुटन महसूस होना या हाँफने लगना।
4.एकाग्रता में कमी होना।
5.चिड़चिड़ापन या चीजों को भूलने जैसी समस्या उत्पन्न होना।
6.रात में पसीना आना, गले का सुखना, मुँह सुखना या खराश जैसा लगना।
7.सिरदर्द होना।
8. यौन रोग होना।
9.मूड का बारा बार बदलना या तनाव।
10.तेज खर्राटे भरना।

बच्चों में लक्षण इतने स्पष्ट नहीं होते लेकिन इनमें हम कुछ लक्षण शामिल कर सकते हैं जैसे –

1. मुँह से सांस लेना और निगलने में कठिनाई होना।
2. नींद में बिस्तर गीला करना।
3.सांस लेते समय पसली की गति।
4.सोते वक्त हाथों या घुटनों के बल सोना।
5. अति सक्रियता या ध्यान में कमी।

उपचार –

हम अपनी आदतों में कुछ आदतों में बदलाव करके स्लीप एपनिया से बच सकते हैं। जैसे-

इसे भी पढ़े  इटिंग डिसऑर्डर (खाने का विकार) - एक मनोरोग|Eating disorder - a psychiatric disorder in Hindi

1.व्यायाम और योग।
2. वजन कम करना।
3.सोने की स्थिति को बदलना।
4.ह्यूमिडिफायर का उपयोग करना।
5.स्मोकिंग और अल्कोहल को बंद करना।
6.मीठी और ठंडी चीजों से बचाव-

1.व्यायाम और योग –

प्राकृतिक रूप से किसी भी बीमारी को ठीक करने के लिए अगर हम अपने दैनिक जीवन में या अपनी दिनचर्या और आदतों में बदलाव कर लें तो हम किसी भी बीमारी से बच सकते हैं। व्यायाम और योग एक ऐसी क्रिया है जो हर बीमारी के लिए एक रामबाण नुस्खा है। यह हम आसानी से अपनी दिनचर्या में अपना सकते हैं। इसे अपनाने से हमारा वजन तो संतुलित रहेगा साथ ही रक्त का प्रवाह अच्छा होगा, हम एनर्जी से भरपूर रहेंगे। यह हमारे हृदय को मजबूत बनाएगा, ऑक्सीजन प्रवाह को प्रोत्साहित करेगा। यह श्वसन गति को सही करेगा और इन सब से स्लीप एपनिया में सुधार होगा। और साथ ही योग और नियमित रूप से एक्ससरसाइज करने से निद्रा में स्लीप एपनिया की वजह से जो अवरोध उत्पन्न होता है वो भी सही होगा।

2. वजन कम करना –

वैसे तो मोटापा हमारे शरीर में कई बीमारियों को जन्म देता है लेकिन स्लीप एपनिया का यह भी एक मुख्य कारण बन सकता है। मोटापा श्वसन मार्ग को संकीर्ण करके अवरोध उत्पन्न करता है और जोखिम को बढ़ा सकता है। और यह सोते समय या कभी भी अचानक नींद में सांस को रोक सकती है। अगर हम अपना वजन संतुलित रखें तो श्वसन मार्ग में भी किसी तरह की दिक्कत नहीं आती और श्वसन मार्ग साफ भी रहता है और स्लीप एपनिया के लक्षणों को भी कम करने में काफी हद तक सहायक होता है। शोधों के अनुसार वजन में मामूली कमी करने से ही किसी भी फरक की सर्जरी से बचा जा सकता है। कुछ लोगों में यह भी पाया गया है की वजन कम करने से ही स्लीप एपनिया की समस्या खतम हो गयी। इसलिए वजन का ध्यान हमेशा रखना चाहिए।

3.सोने की स्थिति को बदलना –

हमारे सोने की स्थिति पर भी स्लीप एपनिया की बीमारी निर्भर करती है। हमारे सोने की स्थिति हमारी नींद और स्लीप एपनिया दोनों के लक्षणों को कम कर सकती है और यह आपके रात की नींद में भी सुधार कर सकता है। एक शोध के अनुसार यह भी पाया गया है की आधे से ज्यादा जो स्लीप एपनिया के केस होते हैं वो हमारे सोने की स्थिति पर ही निभार करते हैं। इसलिए सोने की सहित स्थिति का हमेशा खयाल रखना चाहिए।

इसे भी पढ़े  पेप्टिक अल्सर क्या है, कारण, लक्षण एवं पेप्टिक अल्सर के उपचार मे कुछ औषधीय पौधों की भूमिका | What is peptic ulcer, causes, symptoms and role of some medicinal plants in the treatment of peptic ulcer in Hindi

4.ह्यूमिडिफायर का उपयोग करना –

ह्यूमिडिफ़ायर एक ऐसा उपकरण हैं, जो हवा में नमी उत्पन्न करने का कार्य करते हैं। शुष्क हवा हमारे श्वसन प्रणाली को परेशान कर सकती है। ह्यूमिडिफायर हमारे श्वसन मार्ग को खोल कर किसी भी प्रकार के अवरोध से हमें बचाता है, गले की खराश को सही करता है, और नियमित श्वास प्रणाली को सही रखता है। अगर हम नीलगिरी का तेल, पिपरमिंट ऑइल या लैवेंडर ऑइल का उपयोग इसमे करें तो यह हमरे नाक और श्वसन मार्ग दोनों को खुला और साफ रखेगा साथ ही अवरोध से बचाने में भी सहायक है।

5.स्मोकिंग और एल्कोहौल को बंद करना –

एल्कोहौल और सिगरेट या तंबाखू का सेवन बहुत कम या बंद कर देना चाहिए क्योंकि एल्कोहौल हमारी गले की माँसपेशियों को रिलैक्स करने का कम करता है जिसकी वजह से यह हमारे श्वसन तंत्र को कंट्रोल करता है , और इसकी वजह से हमारे श्वसन मार्ग में सूजन भी आ जाती है और अवरोध उत्पन्न होता। इसकी वजह से खर्राटे आने लगते हैं और नींद में भी अवरोध उत्पन्न हो जाता है। एल्कोहौल की तरह तंबाखू हमारे लिए स्लीप एपनिया का कारण बन सकता है और खर्राटे भी उत्पन्न करता है। कई वैज्ञानिक शोधों से अनुसारी यह सीध हुआ है की धूम्रपान भी स्लीप एपनिया के लिए जिम्मेदार है, स्लीप एपनिया के उपचार के लिए अगर धूम्रपान चोर दिया जाए तो उपचार के साथ- साथ धूम्रपान चोरने में भी सहायता मिलती है।

6.मीठी और ठंडी चीजों से बचाव –

स्लीप एपनिया से ग्रसित व्यक्ति को मीठी और ठंडी चीजों से दूर रहना चाहिए क्योंकि मीठी चीजें वजन को बढ़ाती हैं जो स्लीप एपनिया की दृष्टि से हानिकारक होता है और ठंडी चीजें स्लीप एपनिया के कारकों जैसे खराश, नाक बंद होना, सांस लेने जैसी तकलीफों कोऔर बढ़ा देता है। इसलिए ऐसी चीजों का सेवन कम ही करें।

दिनचर्या, सोने की स्थिति और धूम्रपान की आदतों को सही कर के स्लीप एपनिया जैसे कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

अन्य पढ़े – 

ब्लड ग्रुप (रक्त समूह) एवं हमारे स्वास्थ का संबंध

त्वचा को सुरक्षित कैसे रखें- त्वचा का ख्याल आपके हाथों में

मास्क पहन कर कूल कैसे रहें और क्यों है जरूरी

छत्तीसगढ़ में पायी जाने वाली कुछ भाजियाँ एवं उनके उपयोग

Leave a Comment

Important Links

Join Our Whatsapp Group Join Whatsapp