किडनी फेलियर (kidney failure)-
किडनी फैलियर हमारे शरीर की वह अवस्था जब हमारी किडनियाँ हमारे शरीर की प्राकृतिक क्रियाओं को करने में सक्षम नहीं रह जाती जैसे यह हमारे रक्त में उपस्थित विषैले और अपशिष्ट पदार्थों को को छानने और पेशाब के द्वारा बाहर करने कारण काम करती हैं। किडनी फेलियर में हमारी किडनी 80 से 90 प्रतिशत काम करना बंद कर देती है। आप आप समझ की सकते हैं, यह हमारे लिए कितनी गंभीर समस्या है। किडनी हमारे शरीर का संतुलन बनाए रखती है, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने का कम करती है, हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर करती है, लेकिन जब हमारी किडनी ये सब कार्य करने में असक्षम हो जाए तब हम किडनी फेलियर से ग्रसित हो सकते हैं।
किडनी फेलियर के प्रकार –
किडनी फेलियर के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं –
1.एक्यूट किडनी फेलियर (Acute kidney failure)
2.क्रोनिक किडनी फेलियर (Chronic kidney failure)
1.एक्यूट किडनी फेलियर (Acute kidney failure) –
जब कभी हमारी किडनी अचानक ही हमारे रक्त में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को छानने में असमर्थ हो जाती है और किडनी अपने छानने की क्षमता को खो देते हैं तब हम इसे एक्यूट किडनी फेलियर के नाम से जानते हैं। यह हमारे रक्त रासायनिक संरचना को भी बिगाड़ सकता है। हम एक्यूट किडनी फेलियर को एक्यूट रिनल फेलियर (Acute renal failure) के नाम से भी जानते हैं। यह बहुत कम समय में तेजी से होने वाली समस्या है, इसीलिए इसे एक्यूट किडनी फेलियर कहा जाता है। यह समस्या प्रायः अस्पताल में भर्ती व्यक्ति के साथ भी हो सकता है और यह उपचार के बाद ठीक भी हो सकता है, लेकिन अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह गंभीर रूप ले सकता है।
2.क्रोनिक किडनी फेलियर (Chronic kidney failure)-
यह किडनी फेलियर का अंतिम चरण है, जिसमें किडनी पूर्णतया काम करना बंद कर देती है। इसे एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) कहा जाता है। और इस अवस्था में जीवित रहने के लिए हमें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की सहायता लेनी पड़ती है। इसे उपचार द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है।
किडनी फेलियर के लक्षण (Symptoms of kidney failure)-
1.एक्यूट किडनी फेलियर (Acute kidney failure) के लक्षण –
1.दुर्बलता
2.दिल की अनियमित धड़कन, गंभीर मामलों में दौरे का आना या कोमा
3।सीने में दर्द या दबाव
4.भ्रम की स्थिति पैदा होना
5.मूत्र उत्पादन में कमी (कभी-कभी मूत्र उत्पादन सामान्य भी रहता है)
6.जी मिचलाना
7.पैरों में सूजन का आना।
8.थकान महसूस करना।
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2.क्रोनिक किडनी फेलियर (Chronic kidney failure)-
1.शरीर में कमजोरी।
2.मूत्र उत्पादन एवं विसर्जन दोनों में परिवर्तन।
3.भूख में कमी
4. उल्टी, जी मिचलाना
5.थकान और कमजोरी।
6.सोने में कमी।
7.टखनो और पैरों में सूजन।
8.हृदय के आसपास द्रव्य के बनने से छाती में दर्द।
9.माँसपेशियों में एंठन और मरोड़ का महसूस होना।
10.खुजली का बने रहना।
11.उच्च रक्तचाप को संतुलित करने
12. सांस लेने में तकलीफ होना।
एक्यूट किडनी फेलियरऔर क्रोनिक किडनी फेलियर के कारण (Causes of acute kidney failure and chronic kidney failure) –
किडनी फेलियर होने का सबसे आम कारण मधुमेह और उच्च रक्तचाप है। कभी-कभी किसी अन्य अनपेक्षित कारणों से यह समस्या जल्दी उत्पन्न हो सकती है। एक्यूट किडनी फेलियर में किडनी कुछ घंटों या कुछ दिनों में अचानक कम करना बंद कर देती है। एक्यूट किडनी फेलियर के कुछ कारण हो सकते हैं जैसे-
1.कुछ दवाओं के सेवन से।
2.कम पानी के सेवन से।
3.मूत्र मार्ग में किसी रुकावट से।
4.किसी प्रकार का यकृत या हृदय रोग।
5.ऑटोइम्यून किडनी की बीमारी।
क्रोनिक किडनी फेलियर (Chronic kidney failure) –
क्रोनिक किडनी फेलियर की समस्या अचानक से नहीं होती है। यह समस्या धीरे- धीरे उत्पन्न से होती है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मधुमेह और उच्च रक्तचाप निभाते हैं। यह दोनों बीमारियाँ किडनी फेलियर में सबसे आम और बड़ा कारण है। इस समस्या के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे –
1.ग्लोमेरुलर रोग जैसे ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस जो की यह प्रभावित करती हैं की हमारी किडनियाँ कितनी अच्छी तरह से अपशिष्ट पदार्थों को छानने का कार्य कर सकती हैं।
2.ल्यूपस रोग (इनफ़्लामैटरी रोग)
3.रसौली या पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजिज
4.ऑटोइम्यून डिजिज
कई बार हम एक्यूट किडनी फेलियर को उपचार द्वारा ठीक कर सकते हैं, लेकिन यह समस्या समय के साथ अगर बढ़ जाती है, मतलब अगर क्रोनिक अवस्था में पहुँच जाती है तब इसे डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा ही ठीक किया जा सकता है।
किडनी खराब होने का इलाज (Kidney failure treatment)-
अगर हमारी किडनी खराब या फैल हो जाती है तो इसका कोई उपचार नहीं अगर यह क्रोनिक अवस्था में है। लेकिन फिर भी कुछ ऐसे उपचार हैं, जिनसे किडनी फेलियर के व्यक्ति भी लंबा जीवन जी सकते हैं। किडनी फेलियर के कुछ मुख्य उपचार हैं –
1.डायलिसिस
2.किडनी ट्रांसप्लांट
3.मेडिकल मैनेजमेंट
इसके अलावा शोधों के अनुसार कुछ ऐसे भी पौधे हैं, जिनका उपयोग किडनी फेलियर के उपचार में किया जाता है जैसे रुम पलमटम (Rheum palmatum), जिरानियम थुनबर्गि (Geranium thunbergii), ग्लाइसीरिज़ा यूरालेंसिस (Glycyrrhiza uralensis ), सिलीबम मरिएनम (Silybum marianum ), एफेड्रा डिस्टैच्या (Ephedra distachya) इत्यादि।
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दवाओं के अलावा, जीवन शैली में परिवर्तन भी हैं जो आप अपने लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद के लिए कर सकते हैं, जैसे कि नमक का सेवन कम करना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, अपनी सीमा के भीतर शारीरिक रूप से सक्रिय रहना और शराब और तंबाकू से परहेज करना।
दोबारा, अपनी चिंताओं और अपनी दवा या उपचार योजना में किसी भी बदलाव के बारे में अपने डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है।