दोस्तों आज हम बात करने वाली एक ऐसी बीमारी के बारे में जिससे वर्तमान में बहुत सी लड़कियां एवं महिलाएँ ग्रसित हो रही हैं, आज के समय में लगभग 5 से 10 प्रतिशत महिलाएँ इससे जूझ रही हैं जो की बहुत ज्यादा है। यह समान्यतः 15 वर्ष से 45 वर्ष की आयु की महिलाओं में देखा जा रहा है, जब वो प्रजनन चरण पर होती हैं तब कई बार उन्हें पता चलता है की वो इस बीमारी से ग्रसित हैं। मैं बात कर रही हूँ PCOD (Polycystic ovary disease) या PCOS (Polycystic ovary syndrome) के बारे में जिसमें महिलाओं के अंडाशय (ovary) के किनारों पर छोटी-छोटी गांठें (cyst)बन जाती और और कई बार यह बीमारी इतनी गंभीर होने लगती है, की महिलाओं में बांझपन जैसी दिक्कतें भी आने लगती हैं और महिलाओं को अपनी Ovary तक निकलवाने की नौबत आ जाती है,अगर सही समय पर इसका पता नहीं लगाया जा सका तो ये फाइब्रोइड (tumor or cancer) का भी रूप ले सकती है। इसे हम हिन्दी में रसौली के नाम से भी जानते हैं।
PCOD और PCOS क्या है-
PCOD का पूरा नाम (Polycystic ovary disease) है और हम इसे PCOS (Polycystic ovary syndrome)के नाम से भी जानते हैं। Polycystic ovary disease हमारे होर्मोन के असंतुलित होने की वजह से विकसित होने वाली एक बीमारी है जबकि Polycystic ovary syndrome हमारे अन्तःस्त्रावी प्रणाली (Endocrine system) से उत्पन्न होने वाला एक विकार है, ऐसा माना गया है के इन दोनों ही परिस्थितियों का सामना hormonal imbalance या फिर आनुवंशिकता (Genetics) की वजह से करना पड़ सकता है।
कारण (Causes) –
इस बीमारी के अब तक सही कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है , परंतु कुछ ऐसे कारण हैं जो इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकतें हैं-
1.जीवनशैली (lifestyle) –
दोस्तों आज के समय में हमारी जीवनशैली (lifestyle)में पहले की अपेक्षा इतने परिवर्तन आ चुके हैं की वो हमें गंभीर बीमारियों की ओर धकेलते जा रहे। बाहर का खाना -खाना, खाने के बाद बिना टहले सो जाना, खाते-खाते टीवी देखना, fastfood, junkfood और processed food का अधिकता में सेवन करना, रात मे देर तक जागना और सुबह देर से सोकर उठना। दोस्तों हम बहुत से काम अपने शरीर में उपस्थित जैविक घड़ी (biological Clock) विपरीत करते हैं जिसकी वजह से हम Pcod के साथ-साथ और कई गंभीर बीमारियों के शिकार होते जा रहें हैं। इसलिए आपका खान-पान शरीर के स्वास्थ्य के अनुरूप होना ही चाहिए।
2.हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal imbalance) –
महिलाओं में प्रोजेस्ट्रोन (progestrone) एवं एस्ट्रोजेन (estrogen) नाम के जब दोनों होर्मोन्स के बीच असंतुलन की समस्या होती है,तब ovary
में गाँठ (cyst) बनने लगते हैं, और इसके साथ ही कई अन्य समस्या भी उत्पन्न होने लगती है।
3.थायरॉइड असंतुलन (Thyroid imbalance) –
थायरॉइड की बीमारी भी अंडाशय (ovary)में गाँठों(cyst)के लिए जिम्मेदार होती हैं। thyroid और PCOS आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। Thyroid हमारे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin resistance)को भी उत्पन्न कर देता है।
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4.मानसिक तनाव (Mental Stress) –
अत्यधिक तनावपूर्ण जीवन भी इन बीमारियों को जन्म दे सकता है। ज्यादा तनाव की वजह से महिलाओं मे चिड़चिड़ापन भी देखने को मिलता है जो की हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal imbalance)में अपना योगदान देते हैं और बीमारियों की वजह बनते हैं।
5.धूम्रपान (Smoking and drinking) –
महिलाओं में इस बीमारी का एक बड़ा कारण धूम्रपान भी होता है।
लक्षण (Symptoms) –
ऐसे कई लक्षण हैं जिससे हम इस बीमारी का पता लगा सकतें हैं। कभी भी अगर हमारी शारीरिक संरचना में किसी भी प्रकार के बदलाव अगर देखने को मिलते हैं, तो उसे नज़रअंदाज़ न करते हुए तुरंत उन बदलाव या लक्षणों के कारण का पता लगाइए।
1.मोटापा (Obesity) –
अगर आप मोटापे से ग्रसित हैं, तो ये बीमारी भी एक कारण हो सकती है।
2. बाल झड़ना और पतले होना (Hairfall and hair thinning) –
इस बीमारी में बाल बहुत ज्यादा टूटने लगते हैं, झड़ते हैं और पतले हो जाते हैंऔर खोपड़ी(scalp) भी दिखने लगती है।
3. मानसिक तनाव (mental stress) –
अधिक चिंता करना , अवसाद (Depression) ग्रस्त हो जाना एवं चिड़चिड़ापन।
4. अनियमित मासिकधर्म (Irregular menses) –
मासिक धर्म का समय से ना आना, या आने पर बहुत ज्यादा खून (Bleeding) जाना या बहुत हल्की Bleeding होना या सिर्फ खून के धब्बे (spot) होना।
5. मुहाँसे (Acne,Pimple) –
कई बार इस बीमारी की वजह से चेहरे पर अधिकता में मुहाँसे निकाल आते हैं त्वचा पर धब्बे (spot) उभर आते हैं।
6. तैलिय त्वचा (oily skin) –
त्वचा का अत्यधिक तैलीय हो जाना।
7. अनचाहे बाल –
शरीर या चेहरे पर नए अनचाहे बालों का आना।
8. पेट में दर्द (Abdominal pain) –
मासिकधर्म के समय पेट के निचले हिस्से में अत्यधिक दर्द होना, या सामान्य (Normal) दिनों में भी दर्द बने रहना (मुख्यतः दाहिनी या बाईं ओर या दोनों तरफ)।
9. गर्भधारण करने में समस्या (Problems in getting pregnant) –
नियमित रूप से डिंबग्रंथि अंडो (ovarian eggs)का डिंबोत्सर्जन (ovulation) नहीं होने से, इस बीमारी से ग्रसित महिलाओं को गर्भधारण करने में काफी समस्या होती है।
10. अनिद्रा (Sleeplessness) –
इस बीमारी में नींद न आने की भी समस्या हो सकती है।
11. यौन इच्छा (Sexual desire) में कमी आना।
यह सभी लक्षण महिलाओं में इस बीमारी की गंभीरता के साथ भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। प्रायः महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म, मोटापा या गर्भधारण में से कोई एक समस्या या तीनों समस्याएँ एक साथ बीमारी की गंभीरता के
आधार पर हो सकती हैं।
PCOD के लिए जाँच PCOD (PCOS) Profile test-
अगर आपको ऊपर दिये हुए लक्षणों का अपने शरीर में कभी भी ध्यान करते हैं तो तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह लेकर नीचे दिये हुए परीक्षण (Test) करा सकते हैं-
1. ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (Luteinizing hormone) –
यह परीक्षण (Test) रक्त (Blood) में ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (Luteinizing hormone)की मात्रा को पता लगाने के लिए किया जाता है। यह हॉर्मोन महिलाओं एवं पुरूषों दोनों में पाया जाता है। इस हॉर्मोन का स्त्राव हमारी पीयूष ग्रंथि (Pitutary gland) से होता है। यह हॉर्मोन यौन विकास (sexual development) और यौन अंगों के कामकाज को नियंत्रित करता है, इसके साथ ही ये महिलाओं के मासिकधर्म के चक्र को भी नियंत्रित करता है। यह डिंबग्रंथि अंडो (ovarian eggs) के डिंबोत्सर्जन (ovulation) को भी प्रेरित करने का काम करता है।
2. फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (Follicle Stimulating Hormone) –
यह हॉर्मोन भी हमारी पीयूष ग्रंथि (Pitutary gland) स्त्रावित होता है, और LH (Luteinizing hormone) की ही तरह महिलाओं एवं पुरूषों दोनों में पाया जाता है। यह हॉर्मोन मनुष्यों के प्रजनन तंत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह महिलाओं में मासिकधर्म को नियंत्रित करने के साथ-साथ अंडाशय (Ovary) में अंडो (egg) के विकास को भी प्रोत्साहित करने का काम करता है।
3. सीरम प्रोलैक्टीन टेस्ट (Serum Prolactin test) –
इसे हम लैक्टोजेनिक हॉर्मोन (Lactogenic hormone) के नाम से भी जानते हैं। यह हॉर्मोन भी LH और FSH की तरह ही हमारी पीयूष ग्रंथि में ही निर्मित होता है। यह हॉर्मोन गर्भवाती महिलाओं में एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं में स्तन के दूध के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इन तीनों टेस्ट के द्वारा रक्त (Blood) में ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (Luteinizing hormone),फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (Follicle Stimulating Hormone), सीरम प्रोलैक्टीन टेस्ट (Serum Prolactin test) के सामान्य या असामान्य स्तरों का पता लगाया जा सकता है।
खान-पान कैसा हो (How are you eating) –
अगर Pcod (Pcos) से ग्रसित हैं तो आपको अपने खान पान का अच्छे से ध्यान रखना होगा, क्योंकि कई बार ये बीमारी हमें हमारी खराब जीवनशैली(Lifestyle) की वजह से ही होती है, इसलिए चाहे आप इस बीमारी ग्रसित हों या न हों खान-पान हमेशा संतुलित रखिए।
1. क्या खाएं (What should we eat),क्या करें (What to do) –
एक सही दिनचर्या का पालन करें। सुबह नियमित रूप से जल्दी उठें और व्यायाम (excercise) या योगा करें। सही समय पर भोजन करें एवं सही समय पर सो जाएँ।हमें अपने भोजन में प्रोटीनयुक्त, रेशेदार भोजन, हरी सब्जियाँ एवं ज्यादा मात्रा में फल को सम्मिलित करना चाहिए। तनावरहित जीवन जीयें , किसी भी बात की चिंता को खुद पर अत्याधिक हावी न होने दें। सुबह से शाम तक ऊर्जा से परिपूर्ण रहें एवं खुश रहें। अगर आप मोटापे से ग्रसित हैं तो व्यायाम और योगा के साथ- साथ ऐसी चीजों का सेवन करे जिनमें प्रचुर मात्रा में Antioxidant मौजूद हों, जैसे दालचीनी, तुलसी, नींबू इत्यादि।इन सब के साथ ही भोजन जल्दी और अच्छे से पचने वाला लें ताकि हमारे शरीर को सारे पोषकतत्व मिलें। इसके अलावा ड्रायफ्रूट्स, nuts, मछ्ली, दूध, पनीर एवं अलसी (flaxseed) को भी शामिल करें। पानी का खूब सेवन करें, घूंट-घूंट करके पियें। रात खाने के बाद भी टहलें।
2. क्या ना करें (What not to do) –
रात में ज्यादा देर तक ना जागें। खाने में ज्यादा वसायुक्त भोजन ना लें। किसी भी प्रकार का packed food या processed food ना खाएं। streetfood, junkfood से दूरी बना लें। मीठा खाना कम कर दें। किसी भी प्रकार की कोलड्रिंक का सेवन ना करें, धूम्रपान ना करें। अगर लालच (craving) आ भी रही तो एक छोटा टुकड़ा खा लें बस उससे ज्यादा नहीं। ज्यादा मिर्च-मसाला, तला-भुना ना खाएं।
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