दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे विषय के बारे में जो लगभग आपके आसपास भी चल ही रहा होगा, मतलब है हमारे देश के कई राज्यों में । ऐसा भी नहीं है यह विषय कुछ नया है, विषय तो पुराना ही है, लेकिन फर्क बस इतना है की इसकी वृद्धि दर कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है, दोस्तों मैं बात कर रही हूँ आई फ्लू या कह लें पिंक आइ या फिर कंजंक्टिवाइटिस। यह हमारे देश के कई राज्यों में काफी ज्यादा ही फैल रहा है पर ऐसा क्यूँ, आइये जानते हैं।
आई फ्लू क्या है (what is eye flu)
आई फ्लू को हम चिकित्सकीय शब्द मान कर नहीं चल सकते लेकिन हाँ यह हमारी आँख से संबन्धित समस्या की ओर इशारा जरूर करता है। यह कंजंक्टिवाइटिस(conjunctivitis)का ही रूप है जिसे हम पिंक आई (PINK EYE)के नाम से भी जानते हैं, यह हमारी आँखों में मौजूद कंजंक्टिवा(CONJUNCTIVA) जो की एक ऊतक की पतली और पारदर्शी परत होती है जो हमारी आँखों के सफेद हिस्से और पलकों के अंदरूनी हिस्से को ढकने (COVER) करने में अपनायोगदान करती है, एयूआर जब इस परत में सूजन आ जाता है तब हम इसी स्थिति को कंजंक्टिवाइटिस(conjunctivitis)के नाम से जानते हैं। यह समस्या हमें वायरस, बैक्टीरिया, जलन पैदा करने वाले कारकों याफिर एलर्जी (Allergy)पैदा करने वाले कारकों की वजह से हो सकता है।
कंजंक्टिवाइटिस(conjunctivitis)के प्रकार (Types of conjunctivitis)-
इसके कुछ आम प्रकार हैं जिससे हम सब कभी ना कभी प्रभावित हुए ही होंगे-
1.बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस(Bacterial conjunctivitis)-
यह प्रायः बैक्टीरिया के संक्रमण से होता है, और यह तेजी से फैलने वाला और काफी संक्रामक भी होता है, जिसे हम सर्दी के बाद दूसरा सबसे जल्दी फैलने वाला फ्लू मान सकते हैं।
2.केमिकल कंजंक्टिवाइटिस(Chemical conjunctivitis)-
यह पानी में मिले केमिकल्स जैसे क्लोरीन (Chlorine)की वजह से हो सकता है , चाहे आपके घर में जो पानी आ रहा हो उससे या फिर आप कहीं स्विमिंग पूल (Swimming pool) में नहाने जाते हैं, तो
वहाँ भी इसकी संभावना होती है। कई बार कुछ केमिकल्स के धुएँ भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं।
3.वाइरल कंजंक्टिवाइटिस(Viral conjunctivitis)-
जैसा की हम सभी जानते हैं वायरस किसी भी बीमारी का क्यूँ न हो यह हमारे लिए काफी हानिकारक ही है, यह वायरस की वजह से होता है और हमारे लिए काफी खतरनाक और संक्रामक भी है। और यह बहुत तेजी और आसानी
से फैलता है।
4.एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस(Allergic conjunctivitis)-
यह कुछ एलर्जी पैदा करने वाले एलरजेंस (Allergens) जैसे की धूल के कण, जानवरों की रूसी (DANDER)या फर या फिर किसी खरपतवार (WEEDS) या फिर किसी पौधों के पराग (POLLEN’S)
से भी हो सकता है, वैसे तो यह संक्रामक नहीं होता है लेकिन दोनों आँखों को प्रभावित कर सकता है और आपकी आँखों में जलन (IRRITATION)और खुजली (ITCHING)पैदा कर सकता है जो की आँखों
को लाल (RED) भी कर सकता है।
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आई फ्लू कैसे फैलता है? (How does eye flu spread?)
आई फ्लू ऊपर बताए गए कारकों में से किसी भी कारक की वजह से हो सकता है। यह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने , उसके छिकने या खाँसने पर उड़ने वाली बूंदों (DROPLETS) से या किसी संक्रमित व्यक्ति को छूकर हाथ ना धोकर उसी हाथों से आँख छु लेने पर या फिर घर पर या बाहर किसी सतह जैसे रेलिंग्स या दरवाजे को छूकर हाथ ना धोने से यह फैल सकता है।
आई फ्लू से बचाव (Prevention from eye flu)-
कुछ उपायों और सावधानी को रखकर आई फ्लू से बचा जा सकता है, आई फ्लू एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाता है इससे बचने के कुछ उपाय हैं-
1. मास्क का उपयोग –
क्योंकि यह एक फ्लू है तो यह व्यक्ति के संपर्क में आने, उसके खाँसने और छींकने से भी हो सकता है तो अगर ऐसे लक्षण किसी भी व्यक्ति में दिखें तो उनसे बचिए और मास्क का उपयोग करिए।
2. चश्में का उपयोग –
अगर कोई व्यक्ति आई फ्लू से संक्रमित है तो मास्क के साथ- साथ आप चश्में का उपयोग भी अपनी आँख को बचाने के लिए करें।
3. हाथ धोने की आदत डालें-
जब कभी भी आप कहीं भी बाहर से आयें या किसी भी समान या सतह को हाथ लगाएँ तो हाथ अवश्य धोएँ इससे आप संक्रमित होने से बचेंगे।
4.सैनीटाइजर का उपयोग करें –
किसी भी संक्रमित व्यक्ति या गलती से किसी संक्रमित सतह को छुने के बात सैनीटाइजर का उपयोग अवश्य करें इससे आप काफी हद तक अपनी आँखों का बचाव कर सकते हैं।
5.प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें –
खाने में पौष्टिक आहार का ही सेवन करें ताकि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहें और बीमारियों से बचें रखें।
6.ठंडे पानी से आँख धोना-
आई फ्लू होने पर आँखों को दूर से ठंडे पानी से दिन में 3 से 4 बार धोएँ और हाथों से आँखों को छुने से बचें।
7.आइड्रोप (EYE DROP)-
आई फ्लू समान्यतः कुछ एंटिबायोटिक्स आइड्रोप (EYE DROP)जैसे सिप्रोफ्लोक्सासिन (CIPROFLOXACIN) या टोबरामाइसिन (TOBRAMYCIN)से ठीक हो जाता है। इसका उपयोग आप चिकित्सकीय परामर्श से कर सकते हैं , इसके अलावा कुछ आयुर्वेदिक आईड्रॉप का भी उपयोग किया जा सकता है , यह भी आईफ्लू में काफी प्रभावी होते हैं।
आई फ्लू के लक्षण (Symptoms of eye flu)-
आई फ्लू के कुछ लक्षण दिखते हैं जिससे हम पहचान के उसका उपचार शुरू कर सकते हैं –
1.आँखों में खुजली होना या जलन होना।
2. आँखों का लाल होना या सूजन आना या आँखों में पानी आना।
3.आँखों में कीचड़ और दर्द महसूस होना।
4.आँखों में चुभन होना ।
5.विशेषकर सुबह आँखों में सूजन महसूस होना और आँखों का लाल रहना।
6.धूप के संपर्क में आने से आँखों का और लाल हो जाना।
7.प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता ।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)-
1.क्या आइफ्लू को घर पर ठीक किया जा सकता है?
उत्तर – हाँ बिल्कुल ऊपर दिये आई फ्लू से बचाव बिन्दुओं का अनुसरण करके आप इससे बच सकते हैं।
2.क्या गर्भवती महिलाओं को आई फ्लू से डरना चाहिए?
उत्तर – आपको इससे डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन हाँ गर्भवती महिलाओं को थोड़ा ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत है क्योंकि इस समय में महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली में काफी बदलाव होता जिससे बीमारी के लिएमहिलाएँ संवेदनशील हो जाती हैं, इसलिए इस समय में बचाव बहुत जरूरी है।
3. आई फ्लू कितने दिन में ठीक होता है?
उत्तर – यदि आपको वायरल eye flu है तो ठीक होने में 1 सप्ताह का समय लग सकता है और एलर्जिक eye flu में 2 सप्ताह लग सकते हैं।
4.आई फ्लू होने पर क्या करें?
उत्तर –दूसरों का समान उपयोग करने से बचे । और अपने पूरे शरीर की साफ सफाई रखे तथा डॉक्टर की सलाह से eye ड्रॉप का उपयोग करे ।
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